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स्मृति का वर्गीकरण
• स्मृति के चार प्रकार
• संबद्ध स्मृति • असंबद्ध स्मृति • निरुद्ध स्मृति
• स्मृति-शन्यता • स्मृति को उत्तेजित करने के तीन साधन
• मन • शरीर • श्वास
धामिक व्यक्ति को दोहरा जीवन जीना पड़ता है। एक भौतिक जीवन और एक उसके भीतर छिपा हुआ चेतना का जीवन या आध्यात्मिक जीवन । जो भौतिक व्यक्ति है, वह केवल दृश्य जीवन जीता है, शारीरिक जीवन जीता है या भौतिक जीवन जीता है। उसे बहुत अधिक गहराई में जाने की आवश्यकता नहीं होती। किंतु आध्यात्मिक व्यक्ति उस भौतिक आवरण को चीरकर और चेतना की गहराई तक पहुंचने का प्रयत्न करता है। इसलिए उसे बहुत सूक्ष्म और गहरे तल में उतरना होता है। हमारी चेतना अनावृत होती है और अनावृत होती चली जाती है। आवरण काफी हटता जाता है किंतु चेतना के जगत् में तो वह ठीक है कि चेतना अनावत हो गई किंतु चेतना की अभिव्यक्ति होती है शरीर के माध्यम से। कोई भी चेतना शरीर के माध्यम के बिना अभिव्यक्त नहीं होती। अनावत
७१ : चेतना का ऊर्ध्वारोहण
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