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हमें वाहन पर भी चढ़ना है ; नदी को पार करने के लिए नौका पर भी चढ़ना है। जो व्यक्ति कमजोर है और चाहता है कि दो-तीन घंटे बैठकर ध्यान करे, शरीर की स्थिति नहीं है, बैठ नहीं सकता, कैसे करे ? इसलिए उस व्यक्ति के लिए ज़रूरी है कि स्वस्थ चित्त का निर्माण करे, यानी शरीर के स्वास्थ्य का निर्माण करे। वह शरीर उस कोटि का बन जाए, फिर अपने ध्येय की ओर चले। स्थिति को पार करता जाए किंतु उसमें उलझे नहीं। जो व्यक्ति चित्त-निर्माण करने की क्षमता अजित कर लेता है, वह उलझेगा नहीं। प्रायः वह अगले चित्त के निर्माण के लिए आगे चलता जाएगा।
५४ : चेतना का ऊर्वारोहण
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