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________________ अपनी-अपनी दृष्टि के अनुसार सबको दिखाई देता है। एक व्यक्ति टॉलस्टाय के पास आया और एक अमीर की बहुत निन्दा करने लगा। काफ़ी निन्दा की। जी भरकर उसे कोसा और गालियां दीं। टॉलस्टाय ने कहा, "मैं तुम्हें एक कहानी सुनाता है। एक चोर था। चोरी करने गया। रात में काफी घूमा । किन्तु कहीं चोरी का अवसर नहीं मिला । लोग जाग रहे थे । मौका मिला नहीं। और आप जानते हैं कि चोरी वहां होती है, जहां नींद होती है। जहां जागरण होता है, वहां चोरी नहीं होती। लोग काफ़ी जाग रहे थे। चोर चोरी नहीं कर सका । घूमता रहा, घूमता रहा और घूमते-घूमते थक गया। किन्तु चोरी करने का मौका नहीं मिला। काफ़ी थकान के बाद, गांव के बाहर गया और एक पेड़ के नीचे जाकर लेट गया। रातभर का जागा हुआ था। काफ़ी गहरी नींद आ गयी । सूरज निकल गया, फिर भी उठा नहीं। जब सूरज निकला तो लोग घूमने लगे। एक शराबी उधर से निकला। शराबी ने देखा कि एक आदमी पेड़ के नीचे सो रहा है। उसने घूमकर देखा और देखने के बाद बोला-'देखो ! कितना बड़ा शराबी है ! कितनी शराब पी है ! नशे में कितना धुत्त है कि सूरज निकल गया किन्तु नशा अभी तक नहीं उतरा। पागल कहीं का! अभी सो रहा है !' प्रतिक्रिया कर चला गया। थोड़ी देर में एक दूसरा आदमी आया । वह था जुआरी। उसने देखकर कहा, 'लगता है कि जुए में दांव हार गया। रातभर जुआ खेला और हार गया। थकामांदा सो रहा है। पहले खेला ही क्यों ? और खेला तो दांव को ठीक से क्यों नहीं खेला ? बेवकूफ कहीं का! अभी सो रहा है। प्रतिक्रिया कर चला गया। थोड़ी देर बाद तीसरा व्यक्ति आया । वह था चोर। उसने सोचा, 'सो रहा है, लगता है कि जैसे आज रात्रि में मैं असफल रहा हूं। यह भी मेरा कोई भाई है। असफलता के कारण निराश होकर लेट रहा है।' प्रतिक्रिया कर चला गया। थोड़ी देर बाद एक व्यक्ति आया। वह था योगी। उसने देखा, 'ओह ! कितनी मस्ती में सो रहा है ! कितना निश्चिन्त है ! कोई चिन्ता नहीं है । लगता है कि बहुत पहुंचा हुआ आदमी है, ऐसे ही लेट गया। न कोई बिछौने की अपेक्षा, न और किसी बात की अपेक्षा। ऐसे ही भूतल पर सो रहा है। और लगता है कि बहुत ही पहुंचा हुआ व्यक्ति है। नमस्कार करना चाहिए ऐसे व्यक्ति को।' नमस्कार करके चला गया।" __ एक था दृश्य और अनेक थे दृष्टिकोण । एक ही दृश्य पर अनेक व्यक्तियों ने अनेक दृष्टिकोणों से अपनी प्रतिक्रियाएं व्यक्त की और उसे देखा । यह बहुत बड़ा सत्य है । एक दृश्य को हम अनेक दृष्टिकोणों से देखते हैं। शरीर एक दृश्य है । उसे भी अनेक दृष्टिकोणों से देखा जाता है। एक सौन्दर्य की दृष्टि से जो कि स्थूल दृष्टि है। स्थूल दर्शन में पहले शरीर हमारे सामने आता है। दूसरा डॉक्टर का शरीर-दर्शन : ३१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003090
Book TitleChetna ka Urdhvarohana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathmalmuni
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1978
Total Pages214
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size10 MB
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