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शरीर-दर्शन
• शरीर के ऊर्ध्वभाग को देखना। • शरीर के मध्यभाग को देखना। • शरीर के अधोभाग को देखना। • शरीर-दर्शन के फलित
• अनासक्ति का विकास । • तनाव-विसर्जन । • मन की स्थिरता।
हमारा प्रस्तुत विषय है-चेतना का ऊरोिहण । चेतना के ऊर्वारोहण के लिए श्वास, शरीर और मन को समझना बहुत जरूरी है। उन्हें समझे बिना चेतना के ऊर्वारोहण की बात समझ में नहीं आ सकती। श्वास के बारे में कुछ बातें चर्चित की। आज शरीर के बारे में कुछ बातें करनी हैं। हमारा शरीर एक आयतन है श्वास का, इन्द्रियों का, मन का और चेतना का । उस विशाल आयतन के बारे में हमें कुछ जानना है। शरीर-दर्शन के अनेक दृष्टिकोण हैं। एक व्यक्ति कामुक है, वह शरीर को देखता है। वह रंग-रूप को देखता है, आकार को देखता है और संगठन को देखता है। उसका एक अपना दृष्टिकोण है। एक डॉक्टर है, वह शरीर को देखता है, उसका भी अपना एक दृष्टिकोण है। देखता वह भी है और शरीर के एक-एक अवयव को देखता है। एक साधक है, वह भी शरीर को देखता है, जानता है, उसका भी अपना एक दृष्टिकोण है। एक ही दृश्य अनेक दृष्टिकोणों से देखा जाता है। देखनेवालों के दृष्टिकोण भिन्न होते हैं, दृश्य एक होता है। और
३० : चेतना का ऊर्ध्वारोहण
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