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________________ २ अमूल्य का मूल्यांकन • शब्द का मूल्यांकन अमूल्य का मूल्यांकन है । • श्वास का शारीरिक मूल्य • मस्तिष्क की क्रियाशीलता । • रक्त की गतिशीलता । • जीवन-यात्रा का अनन्यतम पाथेय । • श्वास का आध्यात्मिक मूल्य • चेतना का ऊर्ध्वारोहण । • अतीन्द्रिय शक्तियों की प्राप्ति । सतत जागरण की अवस्थिति । आज मैं अपनी बात एक कहानी से शुरू करता हूं। एक था राजा । एक था संन्यासी । संन्यासी अपरिग्रही था । नग्न था । पास में कुछ भी नहीं था । तपस्वी था। जनता में उसकी काफ़ी ख्याति फैल गयी । हज़ारों-हजारों व्यक्ति उसके पास आने लगे। बात राजा तक पहुंची। राजा के मन में श्रद्धा का भाव जागा और वह संन्यासी के पास आया । संन्यासी को देखा । आसपास का वातावरण देखा । राजा बहुत प्रभावित हुआ । राजा के मन पर संन्यासी की तपस्या की, उसके त्याग की अमिट छाप पड़ गयी । एक दिन वह बोला -- "गुरुदेव ! आप बहुत बड़े त्यागी हैं । आपके पास वस्त्र नहीं, मकान नहीं, पैसा नहीं, कुछ भी नहीं । कितने बड़े त्यागी हैं ! ' राजा ने काफ़ी प्रशंसा की । १६ : चेतना का ऊर्ध्वारोहण Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003090
Book TitleChetna ka Urdhvarohana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathmalmuni
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1978
Total Pages214
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size10 MB
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