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________________ कर्म : चौथा आयाम • विज्ञान के चार आयाम-लंबाई, चौड़ाई, ऊंचाई, काल । • कर्मशास्त्र के पांच आयाम-लंबाई, चौड़ाई, ऊंचाई, अदृश्य, अमूर्त । • ग्रंथियों का संबंध स्थूल शरीर से । • कर्म का संबंध सूक्ष्म शरीर से। • कुछ आकस्मिक-सा लगता है किंतु वह भी आकस्मिक नहीं है। • प्रवृत्ति और परिणाम को अलग नहीं किया जा सकता। • आज की प्रवृत्ति : अतीत का परिणाम । आज का परिणाम : अतीत की प्रवृत्ति । • कार्य-कारण की मीमांसा में तीनों अपेक्षित-वर्तमान, अतीत और भविष्य। कुछ समय पहले तक विज्ञान तीन आयामों से परिचित था-लंबाई, चौड़ाई और ऊंचाई। ये हमारे जगत् के तीन आयाम हैं। प्रसिद्ध वैज्ञानिक अलबर्ट आइंस्टीन के पश्चात् चौथे आयाम की स्थापना हुई। आज का वैज्ञानिक जगत् चार आयामों से परिचित है । चौथा आयाम है-काल, काल की अवधारणा । इससे बहुत क्रांतिकारी परिवर्तन हुआ, अतीत की यात्रा का उद्घाटन हो गया। इससे पीछे की ओर लौटना संभव हो गया। .. कर्म-शास्त्र के क्षेत्र में चौथे आयाम की बात पहले से ही स्वीकृत थी और कर्म : चौथा आयाम : १०३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003090
Book TitleChetna ka Urdhvarohana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathmalmuni
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1978
Total Pages214
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size10 MB
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