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मूलस्रोत या महास्रोत कोई दूसरा ही है। उस मूलस्रोत की खोज करने के लिए ही हमारी यह यात्रा है। इस यात्रा में चलते-चलते हम एक बिंदु पर पहुंचे हैं। उस बिंदु का, उस मूल स्रोत का, उस गंगोत्री का नाम होगा 'कर्म'। यह हमारे आचरणों का, व्यवहारों का, वृत्तियों का मूलस्रोत है, महास्रोत है।
आज केवल कर्म की पृष्ठभूमि की चर्चा की। अब मूलस्रोत का स्वरूप क्या है-इस पर आगे चर्चा करेंगे।
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१०२ : चेतना का ऊर्ध्वारोहण
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