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________________ सुंदर रहना है तो अपने मिजाज का ध्यान रखना होगा १ जिनका चित्त शान्त होता है उनके चेहरे पर शान्ति, दया, करुणा, प्रेम और परोपकार स्पष्ट झलकता है। जब मन अशान्त होता हे उस समय चेहरे की प्रभा, कान्ति नष्ट हो जाती है, चेहरा तनावपूर्ण रहता है, चेहरे पर फुन्सियां, मुंहासे, काले धब्बे निकल आते हैं और उससे व्यक्ति का चमड़ा मोटा हो जाता है, रक्त प्रवाह ठीक से नहीं हो पाता २ आमोद-प्रमोद, आशा, प्रेम, स्वास्थ्य एवं सुख की कामना शरीर को सुदृढ़ तथा पुष्ट बनाती है तथा उसे भरपूर स्वास्थ्य प्रदान करती है। ३ भावनाओं का प्रभाव शरीर पर विभिन्न रूपों में होता है। उत्तम स्वास्थ्य के लिए मन का स्थिर और शांत होना आवश्यक है। ४ चमढ़ी का रंग, मिजाज का ढंग । ५ दुनिया का सारा सौन्दर्य शरीर में है। ६ उदास मन की कोई दवा नहीं होती। दूर से न कोई उसे सहला सकता है, न बहला सकता है, रह-रहकर तन भी मन का साथ दे देता है। लाख प्रयत्न करने पर भी आंखें बहुत कुछ बता देती हैं—मन की जिज्ञासा और तन की पीड़ा। ७ जब आप प्रसन्नचित्त होते हैं तो आपकी दिमागी कार्यक्षमता भी बुलंदी पर होती है। जब आप चिंताग्रस्त, खिन्न, भयभीत या निराशापूर्ण मनःस्थिति में होते हैं तो दिमागी क्षमता निश्चय ही घट जाती है। सुंदर रहना है तो अपने मिजाज का ध्यान रखना होगा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003089
Book TitleYogakshema Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNiranjana Jain
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1990
Total Pages214
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size7 MB
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