SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 70
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सुन्दरता आकांक्षा नहीं, परमानन्द है १ सुन्दर वह होता है जिसका अन्तःकरण सुन्दर होता है, आत्मा निर्मल होती है। २ जो व्यक्ति भीतर में सुन्दर है, वही वास्तव में सुन्दर है । ३ सुन्दर चेहरा आकर्षक भर होता है पर सुन्दर चरित्र की प्रामाणिकता तो अकाट्य होती है। ४ सुन्दरता की तलाश में चाहे हम सारी दुनियां का चक्कर लगा आएं, अगर वह हमारे अन्दर नहीं है तो कहीं न मिलेगी। । ५ अच्छे संकल्प करो ताकि अच्छे मार्ग पर चल सकना संभव हो सके। ६ कला का मतलब-प्रकृति से मिली तुच्छ वस्तु को अतिसुन्दर बना देना। ७ प्रेम और मधुरता की भावना से जो सौन्दर्य आता है, वह सुखद होता है। ८ अच्छा स्वभाव सदा सौन्दर्य के अभाव को पूरा कर देगा, किंतु सौन्दर्य अच्छे स्वभाव के अभाव की पूर्ति नहीं करता। ६ सौन्दर्य का सर्वोत्तम भाग वह है, जिसको कोई चित्रित न कर सके। १० जिसका मन संयमी हो, बुद्धि विवेकवती हो, हृदय अनुरागी हो, शरीर परिश्रमी हो, वहां सौन्दर्य का निवास होता है। ११ विवेक पूर्ण शब्द प्रयोग, शालीन प्रवृत्तियां, उर्ध्वमुखी चिंतन सुलझे हुए विचार, पवित्र आचार, प्रेमपूरित व्यवहार तथा अच्छी आदतों का निर्माण एक सौन्दर्यपूर्ण व्यक्तित्व को जन्म देती है। सुन्दरता आकांक्षा नहीं, परमानन्द है Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003089
Book TitleYogakshema Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNiranjana Jain
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1990
Total Pages214
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy