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विपत्ति संपत्ति है
१ सङ्कट या तो मनुष्य को तोड़ देते हैं या फिर उसे चट्टान जैसा मजबूत बना देते हैं ।
२ कष्ट और क्षति सहने के पश्चात् मनुष्य अधिक विनम्र और ज्ञानी होता है ।
३ सच्चे खिलाड़ी कभी रोते नहीं । बाजी पर बाजी हारते हैं, चोट पर चोट खाते हैं, धक्के पर धक्के सहते हैं पर मैदान में डटे रहते हैं । उनकी त्योरियों पर बल नहीं पड़ते, हिम्मत उनका साथ नहीं छोड़ती, दिल पर मालिन्य के छींटे भी नहीं आते। वे न किसी से जलते हैं, न चिढ़ते हैं ।
४ पेड़ के नीचे चीते को खड़ा देखकर बन्दर हक्का-बक्का हो जाता है और हड़बड़ी में नीचे आ गिरता है । चीता उसे चुपचाप मुंह में दबाकर चल देता है । विपत्ति की घड़ी सामने आने पर अक्सर लोग ऐसी ही भयभीत स्थिति में फंस जाते हैं और बेमौत मरते हैं ।
५ जीवन में आने वाली कठिनाइयां व समस्याएं आत्म विकास को गति देती है ।
६ विपत्ति मनुष्य के ओज, धैर्य और साहस की कसौटी है । ७ जितनी कठिनाईयां सुख में बढ़ती है, उतनी दुःख में नहीं । समझदार वही हैं जो मुसीबत में भी होश - हवास न खोये । विपत्ति में भी जिस हृदय में सद्ज्ञान उत्पन्न न हो, वह उस सूखे वृक्ष के मानिंद है जो पानी पीकर भी पनपता नहीं, सड़ जाता है ।
१० अजेय है वह, जो जीवन की हारों में हारा नहीं । ११ सुख सौभाग्यशाली को परखता है और संकट महान् व्यक्ति
को ।
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योगक्षेम-सूत्र
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