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________________ स्थान नहीं स्थिति बदलिये, कपड़े नहीं मन बदलिये १ वस्तुतः नाम बदलने से जीवन नहीं बदलता। दैनिकी बदलने से अतीत की काली छाया नहीं मिटती। पदार्थ का विनिमय हो सकता है पर जीवनगत अच्छाईयों और बुराईयों का विनिमय नहीं हो सकता। जीवन तब बदलता है जब आचरण और व्यवहार बदलता है। २ प्रतिकल स्थिति को बदल देना मनुष्य के लिए शक्य नहीं है। परिस्थितियों के प्रति होने वाले अपने दृष्टिकोण को अवश्य बदला जा सकता है। ३ दुर्बल व्यक्ति किसी भी घटना से बहुत जल्दी प्रभावित हो जाता है, यही उसके हर्ष-शोक का निमित्त बनती है। ४ मन को हमेंशा ऊंचा रखना चाहिए, गलत भावना आते ही तुरंत उसे निकालकर ऊंचा विचार रख देना चाहिए । ५ परिस्थिति कैसी है, इस पर कुछ निर्भर नहीं करता। हम परिस्थिति को कैसे लेते हैं, इस पर सब कुछ निर्भर करता ६ परिस्थिति आने पर स्थिरीकरण हो तो समस्या सुलझ जाती ७ प्रकृति जिसकी स्थिति के अनुकूल हो, वह सुखी है। पर जो मनुष्य अपनी स्थिति के अनुकूल अपनी प्रकृति बना लेता है वह बुद्धिमान है। ८ जो अनिन्द्य कर्म हैं, उन्हें करो । दूसरे नहीं। ६ जो हमारे सुचरित हैं, उन्हें ही अपनाओ । दूसरे नहीं। स्थान नही स्थिति बदलिये, कपड़े नहीं मन बदलिने १७५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003089
Book TitleYogakshema Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNiranjana Jain
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1990
Total Pages214
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size7 MB
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