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११ स्वाध्याय से वृत्तियां शांत हो जाती हैं, चित्त का भटकाव
कम हो जाता है साधक अपने अन्तस्तल में उठने वाली तरंगों
से सम्यक् परिचित हो जाता है। १२ अध्ययन के साथ-साथ आचरण की पवित्रता बढ़नी
चाहिए। १३ ज्ञान का जैसे ही विकास होगा, इच्छाएं अल्प होती
जाएंगी। १४ ज्ञान की आग सब कर्मों को भस्म कर देती है । १५ सक्रिय बने रहने से बुढ़ापा जल्दी नहीं आता। पढ़ाई भी
क्रियाशीलता है। अध्ययन के समय हमारा पूरा शरीर क्रियाशील हो उठता है। आंख, कान एवं स्वतः क्रिया सहित सारी इन्द्रियां सक्रिय हो उठती है। यहां तक कि हमारे व्यक्तित्व की सबसे रहस्यपूर्ण विशेषता प्रेरणा भी खुद-बखुद क्रियाशील हो उठती है। अध्ययन की प्रक्रिया और इसकी अपेक्षाएं मनुष्य को एक स्वस्थ जिंदगी देती है। उम्र चाहे जो हो।
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योगक्षेम-सूत्र
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