SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 186
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पालने से लेकर कब्र तक ज्ञान प्राप्त करते रहो १ साहित्य का अध्ययन युवकों का पालन-पोषण करता है, वृद्धों का मनोरंजन करता है, उन्नति का शृंगार करता है, विपत्ति को धीरज देता है, घर में प्रमुदित करता है और बाहर विनीत बनाता है। २ आजीवन अध्ययन करते रहना श्रेयस्कर नहीं, बल्कि अनिवार्य है। ३ पढ़ाई जारी रखना अच्छे स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है। ४ जानकारी के बाद व्यक्ति पापों से डरता है अतः स्वाध्याय अपेक्षित है। ५ स्वाध्याय की प्रवृत्ति जिसमें हो वह जीवन को परिवर्तित कर __सकता है। ६ एक छात्र आसानी से पढ़-लिख सकता है, जीने के लिए नहीं बल्कि तर्क करने के लिए। ७ शिक्षा का समूचा उद्देश्य लोगों को ठीक कार्यों में लगा देना ही नहीं बल्कि उन्हें ठीक कार्यों में रस लेने लायक बना देना है। ८ राजा अपने देश में पूजा जाता है परन्तु विद्वान् सर्वत्र पूजा जाता है। ह विद्या दो प्रकार की होती है, एक हमें आजीविका दिलाती है और दूसरी जीना सिखाती है। १० स्वाध्याय और ध्यान में सतत अभ्यस्त रहने वाला व्यक्ति पुरातन कर्म-मल को दूर कर देता है । पालने से लेकर कब्र तक ज्ञान प्राप्त करते रहो Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003089
Book TitleYogakshema Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNiranjana Jain
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1990
Total Pages214
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy