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उत्तम मंगल
१ सबसे मंगल संकल्प है-'मित्ति मे सव्व भूएसु-सबसे मेरी
मित्रता है। २ सबसे बड़ा मंगल-निर्विकल्प मन तथा मन की प्रसन्नता है । ३ कुछ व्यक्ति स्वयं मंगल होते हैं, अमंगल को बदल देते हैं। ४ ज्ञान-धन ही ऐसा श्रेष्ठ है, उत्तम है, जो देने पर भी कम
नहीं होता। ५ समता परम मंगल है। ६ सबसे उत्कृष्ट मंगल है-वर्तमान में जीना। ७ अनुकूल स्थानों में निवास करना, पूर्वजन्म के संचित पुण्य
का होना और अपने को सन्मार्ग पर लगाना--यह उत्तम मंगल है। ८ स्वस्तिक परम मांगलिक, समृद्धिसूचक चिह्न माना गया है। है समर्पण जब साकार होता है, बलिदानों का जब ज्वार आता
है, सेवा और श्रद्धा का जब संगम होता है, तब मरुस्थल भी फलों से महकने लगता है, प्रगाढ़ अंधकार प्रकाश में बदल
जाता है। १० बहुश्रुत होना, शिल्प सीखना, शिष्ट होना, सुशिक्षित होना
और सुभाषण करना, गौरव करना, नम्र होना, सन्तुष्ट रहना, कृतज्ञ होना, उचित समय पर धर्मश्रवण करना, क्षमाशील होना, आज्ञाकारी होना, निर्दोष कार्य करना-ये उत्तम
मंगल हैं। ११ मरण-भय से भयभीत सब जीवों को जो अभयदान देता है
वही दान सब दानों में उत्तम है, मंगल है । १२ धर्म उत्कृष्ट मंगल है।
उत्तम मंगल
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