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मातृत्व का वरदान
१ शिशु, मातृत्व का वरदान है। २ बच्चों की विशेषता है-सुंदरता । ३ बच्चे की हंसी के आगे तो दुनिया की हर सुन्दरता फीकी है। ४ अच्छे बच्चों के निर्माण का सर्वश्रेष्ठ उपाय है-उन्हें प्रसन्न
रखना। ५ बालक वर्तमानजीवी होता है। ६ इस बाल-जीवन में कितनी निर्मल, कितनी हृदयस्पर्शी भाव
नाएं निहित हैं। ७ इस मानव लोक का सबसे अधिक सुन्दर, प्रिय और आकर्षक बिन्दु है- 'बालक ।' उसका निर्विकार सौन्दर्य अनायास ही मन को मुग्ध कर लेता है। ८ स्वर्ग बालक की निर्दोष मस्ती में है। ६ भगवान् जीवन का सारा आनन्द शैशव में ही क्यों भर देता
१० बालक शीघ्र अनुकरण करता है, उसके सामने कभी पाप मत
करो। ११ जीवन के प्रारंभिक क्षणों में जो अधिक चंचल, चपल रहते
हैं वो आगे जाकर बड़े अच्छे बनते हैं। १२ बच्चे बहुत जिज्ञासु होते हैं, उन्हें रोकें-टोके नहीं अपितु __ समाधान दें। १३ बालक वे चमकते हुए तारे हैं जो ईश्वर के हाथ से छूटकर
धरती पर गिर पड़े हैं। १४ बच्चों को केवल पढ़ाई में ही न डालें, उन्हें सद्संस्कार भी दें। १५ बालक आंगन की शोभा है । १६ प्रशंसा, हर्ष और प्रोत्साहन से परिपूर्ण बचपन ही जीवन भर
के दृढ़, महान्, निर्भीक विचार और अच्छे स्वास्थ्य की
आधारशिला बनते हैं। १७ बाल्यावस्था एक पवित्र और निर्दोष अवस्था है। यह प्रकृति की अनमोल देन है, सुन्दरतम कृति है।
योगक्षेम-सूत्र
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