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________________ दीर्घ जीवन की कुंजी १ दीर्घजीवन की कुंजी सादगी और शान्ति के अतिरिक्त और कहीं नहीं है। २ दीर्घजीवन का प्रथम आधार-मानसिक शान्ति, स्थिरता और उत्साह है। ३ बहुत जीने के लिए अलमस्त प्रकृति का होना जरूरी है। ४ अधिक सक्रियता, दौड़धूप, उत्तेजना और गर्मी शरीर को संतप्त करके उसकी जीवनी शक्ति के भण्डार को बेतरह खर्च कर देती है। ५ शान्त, सरल, सन्तुष्ट और प्रसन्न जीवन जीने से निरर्थक उत्तेजना से बचा जा सकता है और जीवनी शक्ति के क्षण को बचाकर लम्बा जीवन जिया जा सकता है। ६ थकान धीरे-धीरे पैदा हो-दीर्घजीवन का प्रधान सूत्र यही ७ हल्का-फुल्का, सीधा-सरल जीवन अपनाकर लंबी आयु प्राप्त की जा सकती है। ८ कितने ही सिद्ध पुरुष दीर्घजीवी पाये जाते हैं, इसका एक कारण है उनका शीत प्रदेश में निवास । ६ स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए नियमित और निर्धारित दिन चर्या, मनःसंस्थान में शांति और संतुलन, अनावश्यक श्रम संताप से बचत आवश्यक है। १० कठिन श्रम तथा शुद्ध व पौष्टिक भोजन दीर्घजीवन के बहुत सहायक हैं। ११ दीर्घजीवन के दो प्रमुख आधार यह भी माने जाते हैं कि श्वास धीमे लिये जांय तथा शीत वातावरण में रहा जाय । दीर्घ जीवन की कुंजी १४१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003089
Book TitleYogakshema Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNiranjana Jain
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1990
Total Pages214
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size7 MB
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