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________________ व्यक्तित्व को मांजने-संवारने का उपाय-ध्यान है १ ध्यान का मतलब-जागरण है। ध्यान का अर्थ है-निर्मल, शान्त, मौन मन की तैयारी। २ समता की अनुभूति का नाम ध्यान है। ३ ध्यान करने से दिशा व दृष्टि बदलनी चाहिये । ४ ध्यान परम समर्पण है। ५ ध्यान का सार विनम्रता है। करुणा ध्यान का फल है। ध्यान लग जाय और करुणा का जन्म न हो तो समझना चाहिए कि कहीं भूल रह गई है। ६ ध्यान न केवल आध्यात्मिक उन्नति का साधन है बल्कि वैयक्तिक स्तर पर एक सुव्यवस्थित अनुशासन भी है। अपने दैनिक जीवन में इसके समावेश करने से हम न केवल अपने आपको सुव्यवस्थित कर सकते हैं बल्कि औरों के साथ हमारे मूलभूत संबंधों पर भी इसका गहन एवं सुन्दर प्रभाव पड़ता है। इसके नियमित अभ्यास से व्यक्ति दिन-प्रतिदिन सुधरते व परिष्कृत होते हैं। ७ जो कुछ हो रहा है, उसे स्वीकार करना ध्यान है । ८ ध्यान के द्वारा वृत्तियों का परिवर्तन, मस्तिष्क का नियमन, नाड़ी-संस्थान और ग्रंथि-संस्थान पर नियंत्रण होता है। ६ ध्यान की निष्पत्ति है-सच्चाई का जीवन जीना । स्वभाव और व्यवहार का परिवर्तन । १० ध्यान की महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है-सत्य की दिशा में प्रस्थान, सत्य के निकट जीना। ११ ध्यान और धर्म की निष्पत्ति होती है-पदार्थ और चेतना के बोच की रेखा स्पष्ट ज्ञात रहे । व्यक्तित्व को मांजने-संवारने का उपाय-ध्यान है १३७ १३७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003089
Book TitleYogakshema Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNiranjana Jain
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1990
Total Pages214
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size7 MB
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