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साधना की भूमि
१ साधना की भूमि मंदिर और उपाश्रय नहीं है अपितु मानव का अन्तःकरण है ।
२ साधना की सबसे बड़ी बात है - आकर्षण की धारा को बदल
देना ।
३ अपनी सुख सुविधा के लिए दूसरों को नसताना -साधना का एक बिन्दु है ।
४ साधना किसलिए ?
१. णिज्जरट्ठाए - निर्जरा के लिए ।
२. स्वास्थ्य के लिए । ३. सुख की प्राप्ति के लिए । ४. ज्ञानवृद्धि के लिए । ५. शक्ति सम्पन्नता के लिए ।
५ सबसे बड़ी साधना एवं निष्पत्ति है - मैत्री के साकार रूप
बनें ।
६ स्वभाव में शान्तता ही साधना की कसौटी है ।
७ जीवन में जागे हुए जियें । क्योंकि जो सोता है वह स्वयं को खो देता है ।
८ उतावल, जल्दबाजी साधना में विघ्न है ।
e सबसे पहली साधना पद्धति है - कम बोलना ।
१० वह साधना-साधना नहीं जिसके साथ प्रयोग न हो, आत्मचिंतन न हो ।
११ ज्ञान, दर्शन और चारित्र - इस त्रयी में सामंजस्य स्थापित करना-यह जीवन का सबसे महत्त्वपूर्ण उद्देश्य होना चाहिये । १२ जब तक हृदय में सरलता और पवित्रता नहीं आती तब तक साधना जलधारा पर चित्र का आलेखन है ।
१३ साधना की पहली शर्त है-आशा का परित्याग, आकांक्षा, तृष्णा से मुक्त होना ।
१४ मनोवृत्ति का परिवर्तन ही हमारी असली विजय है ।
१५ अकेलेपन का अनुभव करना, उदास न होना, प्रसन्न रहना -यह अध्यात्म-साधना से संभव है ।
१६ साधना का मूल प्राण है— दृष्टि की विशुद्धि |
१७ समता साधना का अन्तः प्राण है ।
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योगक्षेम-सूत्र
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