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१५ जो जीव धर्म में स्थित है वह शत्रुओं के समूह पर भी क्षमा
भाव करता है, दूसरे के द्रव्य का वर्जन करता है और परस्त्री
को मां के समान समझता है । १६ धर्म से मनुष्य पूजनीय, विश्वसनीय, प्रिय और यशस्वी होता
है। धर्म मनुष्य के लिए सुख-साध्य है। धर्म ही मनुष्य को शांति प्रदान करता है।
योगक्षेम-सूत्र
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