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________________ आजादी की तड़फ आत्मा का संगीत है १ कोरा वात्सल्य उच्छृखलता की ओर ले जाता है और कोरा नियन्त्रण वैमनस्य की ओर। पर जब वे जीवन में साथ-साथ चलते हैं तब संतुलन पैदा करते हैं। २ पराश्रित रहनेवाला व्यक्ति असली अवसर पर धोखा खाकर दुःखी होता है। ३ पक्षी, जिसे केवल आजादी ही प्रिय है। ४ परतंत्रता में जो कुछ घटित होता है, वह दुःख है। स्वतंत्रता ___ में जो कुछ घटित होता है, वह सब सुख है। ५ आदमी को जितनी कम जरूरतें होती हैं, उतना ही कम वह पराधीन होता है। ६ जितनी आकांक्षा उतनी परतंत्रता। जितनी अनासक्ति उतनी स्वतंत्रता। ७ स्वतंत्रता धर्म है और परतंत्रता अधर्म है। ८ स्वतंत्रता का अर्थ है-आत्मानुशासन का विकास । ६ क्रियात्मक जीवन जीना और स्वतंत्र कर्तुत्व का अनुभव करना—जीवन की सर्वोत्तम उपलब्धि है। १० स्वतंत्रता आंतरिक गुण है। जिसका अन्तःकरण आवेश से मुक्त हो जाता है, जो समस्या का समाधान अपने भीतर खोजता है, क्रिया का जीवन जीता है, वह सही अर्थ में स्वतंत्र होता है । वह गाली के प्रति मौन, क्रोध के प्रति प्रेम, अहं के प्रति विनम्रता तथा प्रहार के प्रति शांति रखता है।। ११ पूर्वजन्म की माया से स्वतंत्रता, सम्मान की प्राप्ति नहीं होती। १२ स्वतंत्र बनो । तोड़ो चित्त की जंजीरों को–मुक्ति की प्रथम शर्त यही है। १३ मनुष्य अपनी स्वतंत्रता का उपयोग श्रेय की दिशा में करे, हर बुराई को अच्छाई में बदल डाले । योगक्षेम-सूत्र Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003089
Book TitleYogakshema Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNiranjana Jain
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1990
Total Pages214
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size7 MB
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