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कैसे होता है गुणों का विकास ?
है, विकट परिस्थिति में सहयोग और सहारा दिया है, उसके प्रति कृतज्ञता का भाव जागना चाहिए । अपने विकास में जिन व्यक्तियों का योग रहा है, उनके उपकार की सदा स्मृति रहनी चाहिए। जो व्यक्ति उपकारी के उपकार को भूल जाता है, वह कभी महान् नहीं बनता। महान् वही बनता है, जो उपकारी के उपकार का सम्मान करता है । यह कृतज्ञता का भाव जीवन में गुणों के अवतरण का स्वर्ण सूत्र है । जो व्यक्ति इस सूत्र को हृदयगम कर लेता है. वह अपने विकास का राजमार्ग उपलब्ध कर लेता है।
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