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मंजिल के पड़ाव
१. कुछ पुरुषों का हृदय भी मधु से भरा हुआ होता है और उनकी वाणी भी मधु से भरी हुई होती है।
२. कुछ पुरुषों का हृदय मधु से भरा हुआ होता है, पर उनकी वाणी विष से भरी हुई होती है।
३. कुछ पुरुषों का हृदय विष से भरा हुआ होता है पर उनकी वाणी मधु से भरी हुई होती है ।
४. कुछ पुरुषों का हृदय विष से भरा हुआ होता है और उनकी वाणी भी विष से भरी हुई होती है। चार प्रकार के मनुष्य
__इन चार प्रकार के पुरुषों की मधु एवं विष कुंभ से मार्मिक तुलना की गई है।
जिस पुरुष का हृदय निष्पाप और अकलुष होता है तथा जिसकी जिह्वा भी मधुरभाषिणी होती है, वह पुरुष मधुभूत और मधु के ढक्कन वाले कुंभ के समान होता है
हिययमपावमकलुसं, जीहाऽवि य महरभासिणी णिच्च ।
जम्मि पुरिसम्मि विज्जति, से मधुकमे मधुपिहाणे ॥
जिस पुरुष का हृदय निष्पाप और अकलुष होता है, पर जिसकी जिह्वा कटुभाषिणी होती है, वह पुरुष मधु-भृत और विष के ढक्कन वाले कुंभ के समान होता है
हिययमपावमकलुसं, जोहावि य कड्यभाषिणी णिच्च ।
जम्मि पुरिसम्मि विज्जति, से मधुकुंभे विसपिहाणे ।। ___ जिस पुरुष का हृदय कलुषमय होता है, पर जिह्वा मधुरभाषिणी होती है, वह पुरुष विषभृत और मधु के ढक्कन वाले कुंभ के समान होता है ।
जं हिययं कलुसमयं, जोहाऽवि य महरभाषिणी णिच्च ।
जम्मि पुरिसम्मि विज्जति, से विसकुंभे मधुपिहाणे ॥
जिस पुरुष का हृदय कलुषमय होता है और जिह्वा भी कटुभाषिणी होती है, वह पुरुष विषभृत और विष के ढक्कन वाले कुंभ के समान होता
जं हिययं कलुसमयं जीहाऽवि य कड्यभाषिणी णिच्चं ।
जिम्म पुरिसम्मि विज्जति, से विस विसपिहाणे ॥ चार विकल्प
भाव और भाषा की इस संयोजना से चार विकल्प प्रस्तुत होते हैं
भाव भी अच्छा है, भाषा भी अच्छी है। १. ठाणं, ४/५९६
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