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उदय और अस्त
अपने आपको तोल लेता है, उसे शक्तिमान् कहा जाता है' -
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१. तपस्या तुला - छह मास तक भोजन न मिलने पर भी से पराजित न हो, ऐसा अभ्यास तपस्या तुला है ।
भूख
२. सत्त्व तुला - भय और निद्रा को जीतने का अभ्यास सत्त्व तुला है | उन्हें जीतने के लिए साधक पहली रात को सब साधुओं के सो जाने पर उपाश्रय में ही कायोत्सर्ग करता है । दूसरी बार उपाश्रय के बाहर, तीसरे चरण में किसी चौक में, चौथे चरण में किसी शून्य घर में, पांचवें क्रम में श्मशान में कायोत्सर्ग करता है ।
३. सूत्र तुला -- सूत्र के परावर्तन से उच्छ्वास आदि काल के भेद को जानने की क्षमता प्राप्त कर लेना सूत्र तुला है । - आत्मा को शरीर से भिन्न जानने का अभ्यास
४. एकत्व तुला
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एकत्व तुला है ।
५. बल तुला - मानसिक बल को इतना विकसित कर लेना, जिससे भयंकर उपसर्ग उपस्थित होने पर भी विचलित न हो, बल तुला है ।
ये सूत्र, जो भगवान् महावीर ने दिए, शक्ति-संवर्द्धन के सूत्र हैं । इन्हें पकड़कर ही उदय की बात को समझा जा सकता है ।
१. ठाणं, ८ / १ का टिप्पण |
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