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मंजिल के पड़ाव
अलिप्तता तथा मलिनता-निर्मलता की तरतमता को समझाने के लिए जल के आधार पर स्थूल वर्गीकरण किया गया
१. कर्दम का जल २. खंजन का जल ३. बालु का जल ४. पर्वत का जल ।
कर्दम के चिमटने पर उसे उतारना कष्टसाध्य होता है । खंजन को उतारना उससे अल्प कष्टसाध्य होता है । बालुका लगने पर जल के सूखते ही वह सरलता से उतर जाता है । शैल (प्रस्तरखंड) का लेप लगता ही नहीं।
इसी प्रकार मनुष्य के कुछ भाव कष्टसाध्य लेप उत्पन्न करते हैं, कुछ अल्प कष्टसाध्य, कुछ सुसाध्य और कुछ लेप उत्पन्न करते ही नहीं।
कर्दम जल की अपेक्षा खंजनजल अल्पमलिन, खंजनजल की अपेक्षा बालुकाजल निर्मल और बालुकाजल की अपेक्षा शैलजल अधिक निर्मल होता है।
___इसी प्रकार मनुष्य के भाव भी मलिनतर, मलिन, निर्मल और निमलतर होते हैं। अस्तित्व और मासक्ति
__ वर्तमान की हिंसक घटनाओं का विश्लेषण करें। ऐसा लगता हैकुछ गहरे संस्कार जमा दिए गए। धारणा इतनी रूढ़ बना दी गई कि धर्म या संप्रदाय को आसक्ति के साथ जोड़ दिया गया। कहा गया-यह आसक्ति टूटी तो तुम्हारा धर्म भी टूट जाएगा, संप्रदाय भी टूट जाएगा, तुम्हारा अस्तित्व भी टूट जाएगा । अस्तित्व के साथ आसक्ति को जोड़ दिया गया । अस्तित्व का अर्थ क्या है ? व्याख्या क्या है ? समझना जरा कठिन है, पर ऐसा लगता है कि समाज कभी धर्म को स्वीकार नहीं करता। कोई जाति धर्म को स्वीकार नहीं करती। कुछेक व्यक्ति होते हैं, जो धर्म को पकड़ लेते हैं और उस मार्ग में लग जाते हैं किन्तु समाज केवल आदर्शवाद को कभी स्वीकार नहीं करता । चाहे हम कितना ही बोलें, कितना ही लिखें, समाज उसे स्वीकारेगा नहीं । सचाई यह है-जहां समाज है, जहां शासन है, वहां आदर्शवाद की बात एकछत्र मान्य नहीं होती। वहां समझौता करना होता है । एक राजनेता को, समाज के मुखिया को बहुत समझौता करना पड़ता है । उसे कभी नीचे उतरना पड़ता है, कभी ऊपर चढ़ना पड़ता है। कभी ऐसे व्यक्तियों से भी हाथ मिलाना पड़ता है, जो वांछनीय नहीं होते। उस व्यक्ति को १. ठाणं ४/३५५
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