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श्रवण और मनन
अर्थ को बोलना | शब्द के लिए अर्थ नहीं है, किन्तु अर्थ के लिए शब्द हैं । हमारे सामने प्रश्न है— पहले शब्द बना या व्याकरण बनी ? पहले घड़ा
बना या घट शब्द बना ।
भाषा से जुड़ा है विकास
तत्वार्थं सूत्र में आर्य और अनार्य का प्रसंग है । अनार्य वह होता है जो अकर्मभूमि में पैदा होता है । कर्मभूमि में पैदा होने वाला आर्य होता है । इसका मतलब है - जहां विकास नहीं होता, वहां पैदा होने वाले अनार्य हैं। जहां न कर्म का विकास, न शिल्प का विकास, न भाषा का विकास, वहां अनार्य लोग होते हैं । यौगलिक या अकर्मभूमि में जो पैदा होता है, उसके भाषा का विकास नहीं होता । जहां कर्म नहीं, व्यवसाय नहीं, वहां भाषा का विकास होगा भी कैसे ? यौगलिक मनुष्य वही खाते हैं, जो पेड़ से मिलता है | शब्द का विकास होता है कर्मभूमि में। जहां वाणिज्य है, व्यवसाय है, लेन-देन है, खेती है, कला और शिल्प है वहां सारा कर्म का विकास होता है और वहीं शब्दों का विकास होता है । यह भाषा का विकास अयं के साथ हुआ है ।
हमें पकड़ना क्या है ? अर्थ को पकड़ना है या शब्द को ? भगवान् ने कहा - हम अर्थ को समझें, केवल शब्दों के गुलाम न बनें । हम शब्दों के गुलाम नहीं, शब्दों के स्वामी बनें । शब्द का स्वामी वह हो सकता है, जो सुनने के पश्चात् 'अभिसमेच्चा' का प्रयोग कर सके, उसका मनन कर सके, अर्थं को पकड़ सके । महावीर ने कहा – सूत्र को मानो पर साथ ही सूत्र के अर्थ को भी पकड़ो ।
अर्थागम की चाबी
अर्थागम की मूल चाबी आचार्य के पास होती है । आचार्य अनुयोगकृत होते हैं | आचार्य भद्रबाहु ने स्थूलभद्र को शेष चार पूर्व का ज्ञान पढ़ा दिया किन्तु अर्थ नहीं बताया । इसका परिणाम यह हुआ - - पढ़ा अनपढ़ा हो गया, जाना अनजाना हो गया । एक ग्रन्थ है- अंगविद्या | अंगविद्या के बारे में इससे बढ़िया कोई ग्रंथ जानने को अब तक नहीं मिला है । पर उसे पढ़ाने वाला कौन है ? 'नयचक्र' आचार्य मल्लवादी का महत्त्वपूर्ण ग्रंथ है । न्याय का यह अद्वितीय ग्रन्थ तो मिल गया पर उसे पढ़ाने वाला कौन है ? एक जैन साहित्य का ग्रन्थ मिला 'भूवलय ।' छोटा-सा ग्रन्थ है, मात्र एक पन्ने का ग्रन्थ है । एक विद्वान् ने बतलाया- इसमें से ७०० भाषाएं निकाली जा सकती हैं । इसमें गणित के महत्त्वपूर्ण सूत्रों का समावेश है । पर शब्दों और अंकों से क्या हो सकता है ? उसका हृदय समझना आवश्यक है । जब तक यह बात नहीं बनती तब तक कुछ नहीं हो सकता । जरूरत है
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