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मंजिल के पड़ाव
दस सूत्र
जो कल्याणकारी भविष्य का निर्माण कर लेता है, वह कभी संकट में नहीं पड़ता। उसे कठिनाइयां नहीं झेलनी पड़ती।) भगवान महावीर ने इस विषय पर महत्त्वपूर्ण दर्शन दिया-कल्याणकारी भविष्य का निर्माण करना है तो दस बातों पर ध्यान दो। यदि दस विशेषताएं हमारे जीवन में होती हैं तो कल्याणकारी भविष्य का निर्माण होता है१. अनिदानता
अनाकांक्षा २. दृष्टिसंपन्नता
सम्यग् दृष्टि की आराधना । ३. योगवाहिता
समाधि पूर्ण जीवन । ४. क्षांतिक्षमणता
समर्थ होते हुए भी सहन करना । ५. जितेन्द्रियता
इन्द्रिय विजय । ६. ऋजुता
सरलता। ७. अपाश्वस्थता
ज्ञान, दर्शन और आचार की।
शिथिलता न रखना। ८. सुश्रामण्य
पवित्र श्रामण्य का होना। ९. प्रवचन वत्सलता -- आगम और शासन के प्रति प्रगाढ़
अनुराग। १०. प्रवचन उद्भावनता- आगम और शासन की प्रभावना। अनिदानता
पहला तत्त्व है अनिदानता-आकांक्षा न होना । कुछ पाने का संकल्प न होना, यह अनिदानता है । यह कल्याणकारी भविष्य के निर्माण का पहला सूत्र है। मनुष्य की यह प्रकृति है-वह श्रम करता है और कुछ पाने की आकांक्षा करता है । सचाई यह है-अनाकांक्ष होना आकांक्षा की पूर्ति का सबसे बड़ा साधन है । जो व्यक्ति आकांक्षा नहीं करता, उसे सब कुछ मिलता है । जब शक्ति आकांक्षा में उलझ जाएगी, तब मिलने की बात छोटी हो जाएगी। बंधन है निदान
राजस्थानी का प्रसिद्ध दोहा है
त्याग किया आवे तुरत, जे कोई वस्तु जरूर ।
आस कियां थी आसिया जाती देखो दूर । यह सचाई है पर समझ में आनी बहुत कठिन है। मन में निदान न हो, आकांक्षा न हो, पाने का संकल्प ही न हो, फिर कैसे उपलब्धि हो १. ठाणं १०१३३
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