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मंजिल के पड़ाव
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पहुंचाना बहुत आवश्यक माना गया है । जो बैठा रहता है, वह शरीर को बिगाड़ने वाला होता है । प्रत्येक कोशिका को ऊर्जा चाहिए। वह ऊर्जा श्रम के द्वारा ही मिलेगी । कायोत्सर्ग एक ऐसा विकल्प है, जिसमें रक्त संचार को अच्छा अवसर मिलता है । हम पांच छह घंटा कायोत्सर्ग करें या एक-दो घंटा शरीर को श्रम दें । परिभ्रमण, आसन, कायोत्सर्ग - ये अच्छे साधन हैं । शरीर और मन को स्वस्थ रखने के लिए इनमें से किसी एक का चुनाव करना जरूरी है । पंथ यात्रा का मतलब है बहुत ज्यादा चलना | दस बारह किलोमीटर से अधिक चलना हानिकारक है पर निरन्तर चलें तो यह बुरा नहीं है | साधु-साध्वियों के बीमारियां कम होती है । इसका कारण है आहार, विहार और गोचरी । इनसे शरीर को पर्याप्त श्रम मिल जाता है और बीमारी से बचाव हो जाता है ।
भोजन की प्रतिकूलता
बीमारी का आठवां कारण है- भोजन की प्रतिकूलता । अनुकूल भोजन नहीं मिलता है तो बीमारी पैदा हो जाती है | संतुलित भोजन वैज्ञानिक दृष्टि से बहुत महत्त्वपूर्ण है । यदि पोषण ठीक मिलता है तो स्वास्थ्य ठीक रहता है । (स्वास्थ्य के लिए भोजन का विवेक आवश्यक है । यदि भोजन का उचित विवेक हो तो अनेक बीमारियों से बचा जा सकता है ।
इन्द्रियार्थं विकोपन
बीमारी का नौवां कारण है - इन्द्रियार्थं विकोपन | यह भावनात्मक बीमारी है । शारीरिक और मानसिक - दोनों बीमारियों को पैदा करती है । काम, क्रोध, भय, लोभ- ये सब इन्द्रियों को कुपित करने वाले हैं, मानसिक भोर शारीरिक बीमारियों को पैदा करने वाले हैं । आयुर्वेद का एक संदर्भ है— लोभ हार्ट की बीमारी का मूल हेतु है - लोभं हृदयबौर्बल्यकारकम् । ये भावात्मक उद्वेग अनेक समस्याओं के जनक हैं ।
आरोग्य का रहस्य
हम इन नौ कारणों का स्वास्थ्य के संदर्भ में वर्गीकरण करें । एक कारण है आराम से संबंधित । ज्यादा आराम नहीं करना चाहिए । 'आराम हराम है' यह विकास और प्रगति का ही नहीं, स्वास्थ्य का भी सूत्र है । स्वास्थ्य का दूसरा सूत्र है -भाजन के बारे में जागरूक होना । कुपोषण न हो, भोजन की प्रतिकूलता न हो । स्वास्थ्य का तीसरा सूत्र है - नींद और जागरण का विवेक । स्वास्थ्य का एक सूत्र है - विजातीय का संग्रह न हो । शरीर के भीतर एसिड जमा होता चला जाता है । वह रक्त की गति को
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