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रोगोत्पत्ति के नौ कारण
या नहीं पर कम से कम स्वास्थ्य के लिए कुपोषण से बचना चाहिए ।
अतिनिद्रा
बीमारी का तीसरा कारण है ज्यादा नींद लेना | स्वास्थ्य चाहने वाले व्यक्ति को पांच-छह घंटे से ज्यादा नींद नहीं लेनी चाहिए । आयुर्वेद में ज्यादा नींद को बीमारी का कारण माना गया है । दिन में न सोना, यह केवल आगमिक मर्यादा ही नहीं है, आयुर्वेद की मर्यादा भी है । दिन में कुछ देर के लिए विश्राम करना अलग बात है, पर नींद लेना बीमारी को
निमंत्रण देना है |
अतिजागरण
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बीमारी का चौथा कारण है-अतिजागरण | बहुत जागना भी बीमारी का कारण है । यदि दो चार दिन नींद न आए तो आदमी बीमार हो जाएगा । अतिनिद्रा और अतिजागरण - स्वास्थ्य के लिए इन दोनों से बचना अपेक्षित है ।
मल-मूत्र का निरोध
- प्रस्रवण का
पांचवा कारण है- उच्चार का निरोध । छठा कारण हैनिरोध । यह बहुत ध्यान देने योग्य बात है । मल-मूत्र के वेग को रोकना स्वास्थ्य के लिए अहितकर है। इससे अनेक बीमारियां पैदा हो सकती हैं । वायु की व्याधि, मस्तिष्कीय बीमारी आदि का यह मुख्य हेतु है । बच्चा और पशु कभी मल-मूत्र के वेग को नहीं रोकता । मनुष्य समझदार है । उसे कभी कभी इस वेग को रोकना पड़ता है किन्तु यह है बीमारी का कारण | हम इस तथ्य पर ध्यान दें - मानस वेगों को न रोके तो बीमारी हो जाती है है और शारीरिक वेगों को रोकने पर बीमारी हो जाती है । काम, क्रोध, भय आदि को न रोकना बीमार होना है और मल-मूत्र आदि को रोकना बीमार होना है ।
पंथगमन
बीमारी का सातवां कारण है— पंथगमन । कहा गया— नत्थि जरा पंथसमा — रास्ते में चलने के समान बुढ़ापा नहीं है । हम इसका हृदय समझें । / चलना भी बहुत जरूरी है । चलना बीमारी का कारण है तो न चलना भी बीमारी का कारण है । एक स्वस्थ आदमी के लिए पांच दस किलोमीटर घूमना बहुत हितकर होता है । जो लोग आसन व्यायाम नहीं कर सकते, उनके लिए टहलना बहुत जरूरी है । शरीर के ऐसे अनेक अवयव हैं, जिनकी स्वस्थता के लिए टहलना जरूरी है । शरीर को आवश्यक श्रम देना, रक्त
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