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________________ १३० मंजिल के पड़ाव शान्त सहवास संघीय स्वास्थ्य के संदर्भ में महावीर का चौथा निर्देश है-सार्मिकों में किसी कारण से कोई कलह उत्पन्न हो जाए तो अनिश्रित, मध्यस्थ और अपक्षपातपूर्ण भाव से उसका उपशमन करने के लिए जागरूक रहो । वही संघ विकास करता है, जिसमें कलह के अवसर कम आते हैं। जो कलह की परिस्थिति को मिटाने के लिए जागरूक रहते हैं, वे संघीय स्वास्थ्य को बल प्रदान करते हैं। जहां कलह नहीं होता, वहां शांतिपूर्ण सहवास पनपता है । शान्त सहवास व्यक्ति और संघ--दोनों के विकास को गति देता है। महत्त्वपूर्ण सूत्र महावीर के ये आठ निर्देश अत्यन्त महत्त्वपूर्ण हैं-व्यक्तिगत स्वास्थ्य और संघीय स्वास्थ्य के संदर्भ में। तपस्या का आचरण, ध्यान, स्वाध्याय, तत्त्व-संग्रह, आत्म निरीक्षण-ये व्यक्ति से जुड़ी हुई प्रवृत्तियां हैं। सेवा, श्रम, यात्रा, क्षेत्रों की देखभाल, शिष्यों का संग्रह-ये संघ से जुड़ी हुई प्रवृत्तियां हैं। तपसश्चरणं ध्यान, स्वाध्यायस्त्तत्वसंग्रहः । निरीक्षा स्वात्मनश्चैता, व्यक्तिवृत्ता प्रवृत्तयः ॥ सेवा श्रमस्तथा यात्रा, क्षेत्राणां पर्यवेक्षणम् । लोकानां संग्रहश्चैताः, संघवृत्ता प्रवृत्तयः ।। यदि इन आठ निर्देर्शों के आधार पर हम अपनी जीवन-यात्रा को चलाएं तो अच्छे व्यक्तित्व का निर्माण होगा, साथ-साथ संगठन और संघ का आरोग्य बढ़ेगा। ये निर्देश एक परिवार के स्वास्थ्य के लिए भी बहुत लाभदायक सिद्ध हो सकते हैं। यदि हम इनका पालन करें तो व्यक्ति और समाज-सबका भला होगा। हम अपने दायित्व और उत्तरदायित्व की भावना को समझें। यह हमारा सांस्कृतिक दायित्व भी है। इसका अनुपालन हमारी कर्तव्यनिष्ठा को नए आयाम देगा। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003088
Book TitleManjil ke padav
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1992
Total Pages220
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size9 MB
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