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मंजिल के पड़ाव
कम से कम अपना मार्ग प्रशस्त कर सकें । भगवान महावीर ने जो काल के लक्षण बतलाए हैं, वे ज्योतिष, खगोल और भूगोल से संबंधित हैं, खगोलीय और आकाशीय विकिरणों से संबंधित हैं । इन सारे प्रभावों को समझ कर हम काल की प्रतिबद्धता से, काल के चक्र से, मुक्त हो सकते हैं। उस मुक्ति का साधन-सूत्र है-तपस्या, स्वाध्याय, ध्यान और समाधि का योग ।
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