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कलियुग के सात लक्षण
करना चाहे तो शायद कर नहीं पाएगा । इस सारे संदर्भ में विचार करें तो यह सूत्र सार्थक प्रतीत होता है - साधु की पूजा नहीं होती, असाधु की पूजा होती है । साधु शायद उतनी तोड़फोड़ करना नहीं जानता, जितनी एक असाधु कर लेता है । यदि साधु जानता है तो भी वह कर नहीं पाता । इस समस्या का समाधान कैसे मिले ? सब चाहते हैं - अच्छे लोग सामने आएं, अच्छे व्यक्ति काम और पद का दायित्व संभालें पर वे कैसे आएं ? यह सूत्र बहुत यथार्थ है । दुःषमा काल का यह लक्षण है-भले और सज्जन आदमी को उतना स्थान मिलना मुश्किल है, जितना दूसरे कारण से मिल सकता है । यह वर्तमान का प्रश्न नहीं है, शाश्वत मनोदशा का प्रश्न है ।
मिथ्या व्यवहार
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दुःषमाकाल का पांचवां चिह्न है – गुरुजनों के प्रति मिथ्या व्यवहार, अविनयपूर्ण व्यवहार । यह बहुत व्यापक लक्षण है । हम विद्यालयों की स्थिति को देखें । आज अध्यापकों और प्रोफेसरों की पिटाई होती है । वे छात्रों से दबते हैं, भय खाते हैं । आज पिता में यह ताकत कम हो गई है कि वह बच्चे को डांट सके । बच्चा पिता को डांट पिला देता है । आज एक समस्या व्यक्तिगत कारण से उभर रही है । दो व्यक्तियों में कोई मनमुटाव होता है, उसे संसद, समाज और राजनीति पर लागू कर दिया जाता है । यह गुरुजनों के प्रति जो उद्दंडतापूर्ण मनोवृत्ति बनी है, वह दुःषमा का बहुत बड़ा लक्षण है । अन्यथा विनय भाव होना, कृतज्ञ होना, गुरुजनों के प्रति सरकार पूर्ण व्यवहार होना बहुत सामान्य बात है । आज कोई किसी पर भरोसा नहीं कर सकता । इस अविनय की बढ़त में काल का भी प्रभाव काम कर रहा है ।
मानसिक दुःख
दुःषमा का छठा लक्षण है मानसिक दुःख । इसमें अव्याप्ति लक्षण है । आज सारे संसार में मानसिक तनाव की चर्चा है । दुनिया का सबसे बड़ा संताप बन रहा है मानसिक तनाव | इसमें काल भी कारण है । काल के साथ-साथ हमारा चिन्तन बदलता है । यह नहीं होता - आदमी के सामने कष्ट की स्थिति ही न आए पर एक ऐसा काल होता है. जिसमें कष्ट की स्थितियां टिक नहीं सकती, कष्ट की स्थिति तत्काल समाप्त हो जाती है । व्यक्ति के सामने कुछ परिस्थितियां आती हैं किन्तु वह उसे मन से निकाल देता है । उसका वेदन नहीं, रेचन कर देता है । उससे मानसिक तनाव और दुःख नहीं होता । आज कायोत्सर्ग से व्यक्ति शारीरिक शिथिलता पा लेता है पर मानसिक कायोत्सर्ग की बात उसे प्राप्त नहीं है । यदि मन में प्रतिशोध की बात न आए, संवेदनशीलता इतनी न उभरे कि व्यक्ति
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