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मंजिल के पड़ाव
इतनी बड़ी बात किसी धर्म में मिलेगी नहीं।'
आचार्यश्री ने हंसकर पादरी की बात सुनी। आचार्यश्री ने कहाक्या आप मेरी भी बात सुनना चाहेंगे ? महावीर ने इससे भी बड़ी बात कही है-किसी को दुश्मन मानो ही मत । यह कितनी बड़ी बात है !
पादरी देखता रह गया।
यह एक महान् सूत्र है अल्पाधिकरण्य का-कलह न हो । कलह का छोटा-सा बीज भी भयंकर रूप ले लेता है।
श्रद्धा, सत्यनिष्ठा, मेधा, बहुश्रुतता, शक्तिमत्ता, अल्पाधिकरण्यये भाचार्य की छह कसौटियां हैं। ये अर्हताएं प्रत्येक आदमी में होनी चाहिए, वह चाहे आचार्य बनाया जाए या न बनाया जाए। एक अच्छा जीवन जीने के लिए भी ये छह अर्हताएं जरूरी हैं। जो इन अर्हताओं से पंपन्न होता है, वह सुखी एवं शान्त जीवन का मन्त्र पा लेता है।
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