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________________ १७. मात्मा का अस्तित्व . दार्शनिक जगत् में दृश्य और मूर्त पदार्थ की भांति अदृश्य और अमूर्त पदार्थ की खोज चालू रही है। अदृश्य और अमूर्त के विषय में सबका एकमत होना संभव नहीं है। दृश्य और मूर्त के विषय में भी सब एकमत नहीं हैं, तब फिर अदृश्य और अमूर्त के विषय में सबकी सहमति की आशा कैसे की जा सकती है ? महावीर ने कहा-आत्मा अमूर्त है, इसलिए वह इन्द्रियगम्य नहीं है। सुकरात ने कहासच्चा दार्शनिक आत्मा की खोज में लगा रहता है। आत्मा के अस्तित्व और नास्तित्व का अभ्युपगम हजारों वर्षों से चला आ रहा है। भारतीय दर्शनों में श्रमण और ब्राह्मण-दोनों परंपराओं के अनेक आचार्य आत्मा को पौद्गलिक मानते रहे हैं। आत्मा के अस्तित्व को नकारने में सबसे अधिक प्रसिद्धि बृहस्पति या चार्वाक दर्शन को मिली है। सूत्रकृतांग के अध्ययन से ज्ञात होता है कि महावीर के युग में भूतवादियों के अनेक संप्रदाय रहे हैं। अजितकेशकंबल एक श्रमण संप्रदाय के आचार्य थे, साथ-साथ आत्मा के अस्तित्व को नकारने में भी अग्रणी थे। आत्मा के स्वरूप के विषय में सांख्य, वेदान्त, न्याय-वैशेषिक और पूर्व मीमांसा-ये सब एकमत नहीं हैं, फिर भी आत्मा के अस्तित्व का' स्वर सबने उच्चरित किया है। बौद्ध दर्शन में आत्मा का विषय एक जटिल पहेली है। उसके अस्तित्व और नास्तित्व-दोनों की घोषणा किसी झिझक के बिना नहीं की जा सकती। जैन दर्शन में आत्मा की स्वीकृति बहुत स्पष्ट है। पश्चिमी दार्शनिकों में भी यह विषय मतभेद का रहा है। ल्यूक्रेटियस (यूनानी दार्शनिक ई० पू० ८८-५५) ने प्रतिपादित किया-आत्मा केवल विशेष प्रकार के भौतिक परमाणुओं का ही रूप है। • सुकरात (यूनानी दार्शनिक ई० पू० ५००) ने आत्मा के अस्तित्व को स्वीकार किया। उसने प्रस्थापित किया- 'यदि आत्मा अपरिवर्तनशील और शाश्वत तत्त्वों को जान सकती है तो वह भी अपरिवर्तनशील और शाश्वत होनी चाहिए । वह जब शरीर को ज्ञान का माध्यम बनाती है तब उसे अशाश्वत के क्षेत्र में घसीटा जाता है। पर जब वह अपने आप में लौटती है तब उसका जगत् दूसरा होता है । वह विशुद्धि, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003087
Book TitleManan aur Mulyankan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year
Total Pages140
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size6 MB
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