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लाभो त्ति ण मज्जेज्जा
• अलाभो त्ति ण सोयए
बहु पि लद्ध णं निहे परिग्गहाओ अप्पाणं अवसक्केज्जा • अण्णहा णं पासह परिहरेज्जा
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प्रवचन- १२
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• व्यक्तित्व के तीन वर्ग
• जैसी घटना, वैसा भाव, ० चलने की पद्धति
• अज्ञानी भोगता है: ज्ञानी जानता है
उद्देश्य ज्ञाता और भोक्ता का
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जानो, बहो मत
• भोक्ता भाव : धर्म
• मनोविज्ञान प्रवृत्ति का स्रोत-
वंशानुक्रम
परिवेश
० धर्म प्रवृत्ति का स्रोत
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संकलिका
(आयारो २ / ११४-११८ )
वंशानुक्रम
परिवेश
वैसा रस
• द्रष्टा बनें, भोक्ता नहीं
• व्यवहार लोकोत्तर बन जाए • निर्णय का आधार
आत्मिक या कार्मिक योग्यता
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