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प्रवचन ७
संकलिका
• करेमि भंते सामाइयं सव्वं सावज्जं जोगं पच्चक्खामि ।
जावज्जीपाए तिविहं तिविहेणं मणेणं वायाए काएणं । न करेमि न कारवेमि करतंपि अन्नं न समणुजाणामि । तस्स भंते ! पडिक्कमामि निदामि गरिहामि अप्पाणं वोसिरामि ।
[आवश्यक सूत्र] ० स्थाई शस्त्र है भाव ० बाह्य शस्त्रः आंतरिक शस्त्र • हिंसा की जड़ • हिंसा वध या प्रमाद ? • संयम का अर्थ ० न मारने का निर्देश क्यों ? ० अहिंसा : मनोवैज्ञानिक विश्लेषण ० मानसिक हिंसा और प्रमाद ० शक्तिशाली प्रश्न ० सावध योग : अठारह पाप • भविष्य की सम्भावना ० शस्त्रीकरण और यांत्रिकीकरण का परिणाम ० आचारांग : शस्त्र-परिज्ञा का सूत्र • निःशस्त्रीकरण का मूल्य आंके
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