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तब मौन हो जाएं
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या थोड़ा जल जाता है तो आदमी आवेश से भर जाता है। ऐसे प्रसंग पर मौन किया जाता है तो आवेश को अभिव्यक्त होने का अवकाश नहीं मिलता, वातावरण में उत्तेजना नहीं आती, आपसी कलह की संभावना क्षीण हो जाती है। ऐसे अनेक प्रसंग हमारे जीवन में आते रहते हैं। यदि हम उन अवसरों में मौन होने का संकल्प लें, मौन हो जाएं तो शान्तिपूर्ण जीवन जीने का सूत्र हमारे हाथ में आ सकता है ।
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