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अस्तित्व और अहिंसा
संख्या कितनी है ? पृथ्वी कितना उगलती है ! थोड़ी-सी वर्षा होती है, हरियाली फूट पड़ती है। फिर भूख की समस्या क्यों है ? यह समस्या उन लोगों ने पैदा की है, जो स्वार्थी हैं, लोभी हैं। कहीं-कहीं धन और अनाज का ढेर लगा हुआ है और कहीं-कहीं खाने को भी पूरा अन्न नहीं है। वास्तव में इस समस्या का मूल है लोभ । हम महावीर के इस वचन को समझ कर ही समस्या मुक्त जीवन जी सकते हैं। यदि वास्तविक दुःख चक्र मिटता है, तो लौकिक दुःखचक्र अपने आप मिट जाएगा। इस सचाई के आलोक में ही दुःखमुक्ति का स्वप्न सार्थक बन सकता है ।
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