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प्रवचन १६
संकलिका
• तम्हा तिविज्जो परमंति नच्चा सम्मत्तदंसी ण करेइ पानं ।
(आयारो ३/२८) ० सफलता का सूत्र ० जीवन की विसंगति ० तीन विद्याएं
न्म का ज्ञान जन्म-मरण के रहस्य का ज्ञान
चित्त-मल के क्षय का ज्ञान ० परम है
आत्मा : परमात्मा
. पारिणामिक भाव ० आदमी मानता है अदृष्ट को, भोगता है दृष्ट को ० पाप का कारण ० कलम : कदम ० संयम का मूल रूप ० अलग है देखने और पढ़ने की शक्ति ० दर्शन की स्थिति ० समत्व को जीए बिना समत्व का दर्शन नहीं ० ऐकात्म्य साधे ० मनुष्य तोता नहीं है, ० समत्व का पाठ नहीं, दर्शन करें
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