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प्रज्ञापर्व समारोह समिति ने महाप्रज्ञ के प्रवचनों को जनार्पित करने का संकल्प संजीया। 'भेद में छिपा अभेद' उसका चौथा पुष्प है, जो ठीक समय पर जनता के हाथों में पहुंच रहा है।
जिन लोगों ने प्रवचन सुने हैं और जिन्होंने नहीं सुने हैं, उन सबको योगक्षेम यात्रा का यह पाथेय चिन्तन की एक नई दृष्टि देता रहेगा, ऐसा विश्वास है।
३१ अगस्त १९९१ जैन विश्व भारती लाडनूं (राज.)
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आचार्य तुलसी
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