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अवचेतन मन से संपर्क
बैठा है । सारा संचालन कर रहा है । सेनापति मौत के सामने नहीं आता। बेचारा सैनिक पहले मारा जाता है। सैनिक का दोष ही क्या है ? वह तो सेनापति के आदेश का पालन मात्र करता है। इसी प्रकार हमारी प्रवृत्तियों का सारा संचालन करता है हमारा भाव । हम सब भाव के द्वारा संचालित हैं। भाव परोक्ष में बैठा है। वह सब कुछ करवाता है मन के द्वारा। क्रियान्विति कारक है मन । वह सामने आता है । हम उससे उलझ जाते हैं । उसे भला-बुरा कह देते हैं । मन को ही उलझाते हैं और उसे ही सुलझाना चाहते हैं, उसके साथ ही सारी समस्याएं जोड़ देते हैं ।
मानसिक समस्याओं से निपटने के लिए भाव को समझना नितांत जरूरी है। भाव हमारे व्यक्तित्व के गहनतम अन्तराल का एक स्रोत है। मन मस्तिष्क से संबंधित है । भाव बहुत गहराई में जाता है। इतनी गहराई में कि सामान्य आदमी वहां तक पहुंच ही नहीं पाता।
भाव अच्छा भी होता है और भाव बुरा भी होता है । जैसा भाव होता है वैसा ही मन हो जाता है। अच्छा भाव अच्छा मन और बुरा भाव बुरा मन । भाव के साथ मन चलता है, मन के साथ भाव नहीं चलता। हमारा अस्तित्व भाव से जुड़ा हुआ है । हमारी सारी अभिव्यक्ति भाव के कारण हो रही है । वल्ब वल्ब है। बिजली आती है तो प्रकाश कर देता है और बिजली नहीं आती है तो प्रकाश नहीं करता । प्रकाश करने या न करने में वल्ब का क्या दोष ? करंट आता है तो प्रकाश हो जाता है, नहीं आता है तो अंधकार बना रहता है। हाई वोल्टेज हो तो अधिक प्रकाश होता है, लो वोल्टेज हो तो मंद प्रकाश होता है। इसमें वल्ब का क्या ? मूल कारण है विद्युत् की तरंग।
एक शब्द बहत प्रचलित है-मनोभाव । कोरा भाव नहीं, मन का भाव । मन में उतरने वाला भाव, मन में प्रतिध्वनित होने वाला भाव । जो मन में उतरता है वह मनोभाव हो जाता है। प्रेक्षा ध्यान का ध्येय है---भावपरिष्कार।
प्रत्येक व्यक्ति प्रवृत्ति के एक चक्र में जी रहा है। दो हैं--प्रवृत्ति और परिणाम । वर्तमान की प्रवृत्ति और अतीत का परिणाम । प्रत्येक आदमी वर्तमान में जीता है, अतीत को भोगता है और वर्तमान में कुछ करता है। यह चक्र चल रहा है। हमने अपना अतीत बनाया । उसे आज भोग रहे हैं। यदि हम सूक्ष्म विश्लेषण करें तो पता चलेगा कि वर्तमान में हम जो कुछ कर रहे हैं, उसके साथ अतीत का संबंध भी जुड़ा हुआ है। इस बिन्दु पर तरंग शास्त्र की गहन खोजों का, कर्मशास्त्र के गहनतम सिद्धांतों का अनुशीलन करना बहुत महत्वपूर्ण प्रयत्न होता है। हमारे जीवन-विश्लेषण में एक महत्वपूर्ण भाग है कर्म शास्त्र का । मानस शास्त्र में साइकोलोजिकल एनेलिसिस द्वारा
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