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________________ ५२ अवचेतन मन से संपर्क सुनाई । विश्वास नहीं हुआ, क्योंकि यही सुन रखा था कि दांत एक साथ नहीं निकाले जाते, प्रतिदिन एक या दो दांत निकाले जाते हैं। किन्तु एक साथ सत्ताईस दांत निकाल देना डाक्टर का दुःसाहस ही माना जाएगा। पर ऐसा संभव तभी हो सकता है तब कार्यरत डाक्टर अपने अन्तःकरण से संबंध स्थापित करता है और पूर्ण मनोबल के साथ उस कार्य में जुट जाता है । जिस व्यक्ति को अपनी क्षमताओं का परिचय हो जाता है तब वह असंभव लगने वाला कार्य भी वह संभव कर दिखाता है। ___अपने भीतर झांकने की प्रक्रिया, अपनी शक्तियों से परिचित होने की प्रक्रिया, अपनी समस्याओं का भीतर से समाधान खोजने की प्रक्रिया-यही जीवन-विज्ञान की प्रक्रिया है। यदि यह प्रक्रिया हस्तगत हो जाती है तो आदमी के दोनों हाथ सक्षम हो जाते हैं। उसका भौतिकता का हाथ भी मजबूत हो जाता है और आध्यात्मिकता का हाथ भी मजबूत हो जाता है । दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि उसे बाहर की समस्याओं को सुलझाने की शक्ति भी प्राप्त हो जाती है। उसके दोनों हाथ और दोनों पैर मजबूत बन जाते हैं। उसे तब लंगड़ाने की आवश्यकता नहीं रहती। विधायक दृष्टिकोण के लिए जीवन-विज्ञान का यह उपक्रम एकमात्र उपाय है । यह बात आज समझ में आए, कल में समझ आए, आखिर इतनी समस्याओं और तनावों में जीता हुआ आदमी कभी न कभी इस सचाई का अनुभव करेगा, इस ओर कदम बढ़ायेगा। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003084
Book TitleAvchetan Man Se Sampark
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1992
Total Pages196
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Yoga
File Size9 MB
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