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विधायक दृष्टिकोण
हैं, पदार्थ कम हैं - यह पदार्थ की प्रकृति है । जब भोक्ता अधिक होते हैं और पदार्थ कम, तब संघर्ष होता है । किन्तु हमारी आन्तरिक शक्ति के लिए उल्टा नियम है। हर व्यक्ति के पास असीम शक्ति है, इसलिए वहां संघर्ष या टकराहट की नौबत ही नहीं आती ।
मुझे पता नहीं, शिक्षाशास्त्रियों ने इस ओर ध्यान क्यों नहीं दिया ? शिक्षा का विकास केवल भौतिक विकास ही कैसे माना ? यह बहुत बड़ा प्रश्न है । आज की शिक्षा का फलित है बौद्धिक विकास और बौद्धिक विकास के सहारे पदार्थ का विकास। इसे अनुचित नहीं माना जा सकता । यह भी अनिवार्य है । किन्तु इसके साथ-साथ चेतना का विकास भी अपेक्षित होता है । इसकी उपेक्षा क्यों की गई ? यह अखरने वाली बात है ।
जीवन - विज्ञान में इस बात पर बल दिया गया है कि भौतिक विकास के साथ आध्यात्मिक विकास भी हो। दोनों का संतुलन हो । मैं यह अनुभव के साथ कह सकता हूं कि लौकिक विद्याओं के अध्ययन में जितना समय और जितनी शक्ति लगती है, उसकी तुलना में पांच-दस प्रतिशत शक्ति भी यदि आंतरिक शक्तियों के विकास में लगे तो दोनों में संतुलन स्थापित हो सकता है । प्रत्येक स्कूल और कॉलेज में अन्यान्य पीरियडों के साथ एक पीरियड यदि विद्यार्थी की आन्तरिक क्षमता के विकास के लिए लगाया जाए तो बहुत बड़ा काम हो सकता है। इसका फलित होगा - विधायक दृष्टिकोण का निर्माण | उस स्थिति में अपने आप समस्याओं के समाधान की प्रक्रिया और दृष्टि जागृत होगी ।
भौतिकवादी दृष्टि के साथ अध्यात्मवादी दृष्टि भी बहुत आवश्यक है । अध्यात्म की दृष्टि का अर्थ है-भीतर में झांकने की दृष्टि । जब दृष्टिकोण आध्यात्मिक बनता है तब आदमी बाहर ही नहीं देखता, भीतर देखने लग जाता । कोई भी स्थिति या समस्या आती है तब वह केवल दूसरे की ओर नहीं देखेगा, अपनी ओर भी देखेगा और विश्लेषण करेगा कि कहां क्या अनुचित है । आज व्यक्ति सर्वत्र दूसरे को ही देखता है, स्वयं को नहीं देखता । जब तक दृष्टिकोण आध्यात्मिक नहीं होता तब तक व्यक्ति अपने आप से परिचित भी नहीं होता और भीतर झांकने या भीतर से समाधान खोजने की प्रवृत्ति ही नहीं होती । हर समाधान बाहर खोजा जाता है और उसका परिणाम है दूसरे को देखना । इससे या तो हीन भावना पनपेगी अथवा अहंकार पनपेगा ।
५.१
अपने आप से परिचित होने का एकमात्र साधन है - - - आध्यात्मिक दृष्टिकोण | इसके अभाव में आंतरिक क्षमताओं का विकास नहीं होता । एक व्यक्ति डेन्टिस्ट के पास गया। डाक्टर ने उसी दिन उसके एक साथ सत्ताईस दांत निकाल दिए । यह बात हमको अभी-अभी एक भाई ने
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