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मस्तिष्क के नियंत्रण का विकास
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और अवरोध के समाप्त होते ही दर्द मिट जाता है।
तीन प्रकार के अवरोध हैं-शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक । ध्यान के द्वारा ये अवरोध समाप्त होते हैं। प्रेक्षा का सामान्य अर्थ है-- देखना किन्तु देखने की भी एक पद्धति है। देखने का अर्थ आंखों से देखना नहीं है। उसका अर्थ है अनुभव करना और वह भी राग-द्वेषमुक्त भाव से अनुभव करना, तटस्थ और समता भाव से देखना। केवल देखना, ओन्ली परसेप्सन । और कुछ भी नहीं, केवल देखना । जब इस शुद्ध चेतना के द्वारा देखा जाता है तब परिवर्तन प्रारम्भ हो जाता है। जब हम दर्शन केन्द्र, ज्योति केन्द्र अथवा आनन्द केन्द्र पर ध्यान केन्द्रित करते हैं तब सारी स्थितियां बदलनी शुरू हो जाती हैं।
आज दर्शन शब्द दूसरे अर्थ में रूढ़ हो गया है । जो दर्शन आज पढ़ाया जा रहा है, वह मात्र एक तर्कशास्त्र है। आज एक वकील के धधे में और एक दार्शनिक के धंधे में कोई अन्तर नहीं लगता। दोनों का धंधा है तर्कों को खोजना और जय-पराजय के लिए प्रवृत्ति करना। एक को हराना और एक को जिताना । यही काम एक दार्शनिक कर रहा है और यही काम एक वकील कर रहा है।
दर्शन का मूल अर्थ है--साक्षात्कार, साक्षात् अनुभव । जो तर्क और शब्द के माध्यम से जाना जाता है, वह साक्षात्कार नहीं है। तर्क और शब्द के बिना जो जाना जाता है वह है साक्षात्कार और वह है दर्शन । प्रेक्षा का अर्थ है दर्शन और दर्शन है साक्षात्कार की प्रक्रिया। परिवर्तन का सशक्त माध्यम है-दर्शन ।
ध्यान शब्द 'ध्यैङ चिंतायाम्' धातु से निष्पन्न हुआ है। धातु का अर्थ एक है-चिन्तन करना। किन्तु अर्थ का विकास हुआ और ध्यान शब्द का अर्थ केवल दर्शन रह गया। इसीलिए संस्कृत कोशों में 'निध्यानं अवलोकनं' ऐसा मिलता है। इसका अर्थ हुआ, ध्यान करना अर्थात् देखना, अवलोकन करना । चिन्तन गौण हो गया और देखना मुख्य हो गया।
देखना एक शक्तिशाली प्रक्रिया है परिवर्तन की। जो व्यक्ति देखने की कला को सीख लेता है, वह व्यक्ति बदलने की प्रक्रिया में सजग हो जाता है। विचार आए तो विचारों को देखो। कुछ ही क्षणों में ऐसा लगेगा कि विचार गायब हो गए हैं।
विख्यात मनोवैज्ञानिक 'जंग' ने लिखा--जब मैं बीमार हुआ तब एक मानसिक चिकित्सक के पास गया। चिकित्सक ने मुझे लिटा दिया और रिलेक्स होने के लिए कहा-कायोत्सर्ग के लिए कहा। फिर उसने पूछा'अब बताओ कि तुम क्या सोच रहे हो ? सोचो और जो-जो विचार आएं, उन्हें बताते चले जाओ। ज्यों ही मैंने विचारों पर ध्यान दिया कि विचारों को देखें
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