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अनेक रोग : अनेक चिकित्सा
हम अपने जीवन का पूरा विश्लेषण करें तो पता चलेगा कि प्रशांतवाहिता नहीं टिक पाती। उसमें बार-बार विघ्न आते हैं। अनेक प्रकार की तरंगें उठती हैं और उसमें क्षोभ पैदा कर डालती हैं। तरंगें उठती रहती हैं
और आदमी उलझता रहता है । हमारी शांति का अस्तित्व दो तरंगों के बीच में है। इधर तरंग है, उधर तरंग है और बीच में शांति है। दोनों ओर के थपेड़ों से बेचारी शांति क्षुब्ध हो जाती है।
ध्यान करने वाले इस सचाई को समझ कर चलें कि ध्यान एक साथ नहीं हो सकता । मन एक साथ नहीं टिकता । प्रारम्भ में मन भटकता है, फिर अभ्यास की परिपक्वता के साथ-साथ वह नियंत्रित होता जाता है । इसमें तीन बातें अपेक्षित होती हैं-धैर्य, दीर्घकालिता और सतत अभ्यास । जब ये तीनों तथ्य समन्वित होते हैं तब ध्यान फलित होता है। इस स्थिति में आदमी एक घंटा निर्विकल्प रह सकता है। यह आगे की स्थिति है। प्रारम्भ में ऐसा नहीं होता । हमें इस सचाई का यथार्थ अनुभव करना चाहिए कि प्रारंभ में ध्यानकाल में चंचलता आएगी, संकल्प-विकल्प आएंगे, उन सबको सहना है, देखना है, अनुभव करना है पर ध्यान को नहीं छोड़ना है। जो लोग इस यथार्थता को जान लेते हैं, वे सब कुछ सहकर धीरे-धीरे आगे बढ़ जाते हैं । जो इस यथार्थ को नहीं जानते, वे घबड़ा जाते हैं और ध्यान को बीच में ही छोड़ देते हैं।
एक व्यक्ति तैरना सीखना चाहता था। वह तालाब पर गया। वह नया-नया था। उसका पैर फिसला और तालाब में डूबने लगा। एक व्यक्ति ने उसे खींचकर बाहर निकाल दिया। कुछ क्षणों बाद कहा, उतरो, पानी में तैरो। वह बोला, नहीं उतरूंगा। जब तक तैरना नहीं सीख लूंगा तब तक पानी में पैर नहीं रखूगा।
यह कैसे संभव होगा? क्या वह घर पर बैठा-बैठा तैरना सीख जाएगा ? पानी में फिसलते, डूबते, तैरते ही तो तैरना सीखा जाता है। जो व्यक्ति इनसे घबड़ा जाता है, वह कभी तैरना नहीं सीख सकता।
___ जो व्यक्ति ध्यान में आने वाली बाधाओं और विघ्नों को सहते-सहते अभ्यास चालू रखता है, वह ध्यान की स्थिति में विकास कर लेता है । जो उन बाधाओं से घबड़ा जाता है, वह कभी ध्यान का अभ्यास सिद्ध नहीं कर सकता ।
प्रशांतवाहिता और मन की शांति को निरन्तर बनाए रखने के लिए पहली आवश्यकता है-लक्ष्य का निर्माण, उद्देश्य की स्पष्टता । ध्यान का उद्देश्य है-चित्त की निर्मलता, चित्त की शांति । जैसे-जैसे चित्त की निर्मलता बढ़ती है वैसे-वैसे चित्त की शांति भी बढ़ती है। ध्यान के द्वारा शारीरिक स्वास्थ्य को फलित करना, मुख्य बात नहीं है, गौण बात है। खेती का मुख्य
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