________________
जीवन विज्ञान
१३५
शौकीन हूं । मिठाई बहुत खाता हूं। मैंने सोचा-जब मैं स्वयं मिठाई खाता हूं तो बच्चे को मिठाई छोड़ने के लिए कैसे कह सकता हूं? जब तक मेरी संकल्प-शक्ति प्रवल नहीं होगी तब तक मेरी वाणी का दूसरे पर असर कैसे आएगा ? मैंने स्वयं मिठाई न खाने संकल्प किया । सप्ताह भर प्रयोग किया। आज बच्चे को कहा और वह मान गया। यदि उस दिन इस बच्चे को कहता तो संभव है यह मेरी बात स्वीकार नहीं करता।
संकल्पशक्ति की तेजस्विता या तीव्रता के साथ जो वाणी निकलती है, संकल्प की विद्युत् को लेकर जो वाणी निकलती है, वह सामने वाले व्यक्ति के हृदय को छू लेती है । उससे बड़ी से बड़ी आदत भी बदल जाती है । किन्तु जब संकल्प कमजोर होता है, शक्तिहीन होता है तब उसके साथ विद्युत् नहीं जाती, वाणी लड़खड़ाती चलती है, वह दूसरे के हृदय को प्रकंपित नहीं कर पाती, जब संकल्पशक्ति का विकास होता है तब बड़े से बड़ा परिवर्तन घटित हो जाता है।
जीवन-विज्ञान का एक महत्त्वपूर्ण प्रयोग है-~-अनुप्रेक्षा। सचाइयों को ज्ञात करने के लिए प्रेक्षा बहुत महत्त्वपूर्ण है किन्तु आदतों को बदलने के लिए अनुप्रेक्षा का प्रयोग उससे भी बहुत महत्त्वपूर्ण है। आज की भाषा में अनुप्रेक्षा को 'सजेस्टोलॉजी' कहा जा सकता है। अनेक वैज्ञानिक इस पद्धति का प्रयोग करते हैं। चिकित्सा के क्षेत्र में इसका प्रयोग हो रहा है। सजेशन दो प्रकार से दिया जाता है—-व्यक्ति स्वयं सजेशन (सुझाव) देता है या अन्य व्यक्ति के सजेशन सुनता है। दोनों प्रकार प्रचलित हैं। इन सुझावों के द्वारा अकल्पित बातें घटित हो जाती हैं ।
अनुप्रेक्षा का प्रयोग सुझाव पद्धति का प्रयोग है। यह 'आटो सजेशन' स्वयं को स्वयं के द्वारा सुझाव देने की पद्धति है। एक आदमी यदि प्रतिदिन सप्ताह तक यह सुझाव दे कि 'मैं बीमार हूं, मैं बीमार हूं' तो निश्चित ही वह बीमार हो जाएगा। दूसरा व्यक्ति यदि यह सजेशन देता है कि मैं स्वस्थ हूं, मैं स्वस्थ हूं-तो वह स्वास्थ्य का अनुभव करने लग जाएगा। सुझाव की पद्धति को समझकर सुझाव दे, गहराई में जाकर सुझाव दे, बार-बार सुझाव दे तो स्वास्थ्य बढ़ता चला जाएगा।
___ अनुप्रेक्षा की पद्धति स्वभाव परिवर्तन की अचूक पद्धति है । इसके द्वारा जटिलतम आदत को बदला जा सकता है। आदत चाहे शराब पीने की हो, तम्बाक सेवन की हो, चोरी की हो, झूठ और कपट की हो, बुरे आचरण
और बुरे व्यवहार की हो, अनुप्रेक्षा पद्धति से उसमें परिवर्तन किया जा सकता है।
__जीवन-विज्ञान की पद्धति में प्रेक्षा और अनुप्रेक्षा के प्रयोग कराए जाते हैं । पढ़ाया कुछ भी नहीं जाता । न कोई पुस्तक, न कोई भाषा, न कोई
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org