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अवचेतन मन से संपर्क
करो, जीवन में संयत रहो, कुपथ्य का सेवन मत करो, जीवन घट जाएगा तो तो वे तत्काल उत्तर देते हैं-महावीर की मौत भी जब क्षण-भर के लिए इधर-उधर नहीं हो सकी तो फिर हमारी मौत अनिश्चित कैसे होगी ? चाहे हम कुपथ्य का सेवन करें, बुराई करें, अनियमित रहें तो क्या फर्क पड़ेगा, मौत तो आने वाली होगी तभी आयेगी। कोई अन्तर नहीं आएगा।
महावीर का उत्तर लोगों के लिए रामबाण जैसा बन गया। उनका तर्क अकाट्य हो गया।
बालक यह तर्क भी प्रस्तुत करते हैं-जब माता-पिता का स्वभाव भी नहीं बदलता, बड़े-बड़े व्यक्तियों और शिक्षकों की आदतें नहीं बदलती तो फिर विद्यार्थियों को कैसे बदला जा सकता है ? यह तर्क बन गया। वे यह नहीं जानते-माता-पिता, विद्वान् तथा वैज्ञानिक नहीं बदले तो वे इसलिए नहीं नहीं बदले कि उन्होंने बदलने का उपाय कभी किया ही नहीं । बदल ना कभी चाहा ही नहीं। किन्तु आज का विद्यार्थी यदि चाहे कि उसे बदलना है, उसे कुछ बनना है तो वह उपाय के द्वारा बदल सकता है, कुछ बन सकता है। . जीवन-विज्ञान के माध्यम से बदलने के जो प्रयोग कराए जाते हैं--- श्वास-प्रयोग, आसन-प्रयोग, प्राण-प्रेक्षा का प्रयोग, चैतन्य केन्द्र प्रेक्षा का प्रयोग-वे सारे उसकी आन्तरिक शक्ति को जगाने के प्रयोग हैं, संकल्प की शक्ति को विकसित करने के प्रयोग हैं । जब एकाग्रता की शक्ति जागती है, संकल्पशक्ति का विकास होता है और भीतरी रसायनों में परिवर्तन आता है तब स्वभाव परिवर्तन अथवा अन्यान्य परिवर्तनों की बात सरल बन जाती है ।
एक माता अपने पुत्र को लेकर एक महात्मा के पास आई । उसने कहा-'महात्माजी ! मेरा बच्चा मिठाई बहुत खाता है । चीनी अधिक खाने के कारण वह बीमार रहता है। आप इसे मिठाई खाना छुड़ा दें। ऐसा मंत्र बताएं कि यह मिठाई खाना छोड़ दे। महात्मा ने बात सुनी और मौन रहे । कुछ समय मौन रहने के बाद बोले- 'बहिन ! अभी चली जाओ, एक सप्ताह के बाद आना । एक मंत्र बताऊंगा और बच्चा मिठाई खाना छोड़ देगा।
बहिन एक सप्ताह बाद आई।
महात्मा ने बच्चे को प्रेम से समझाया। मिठाई खाने के गुण-अवगुण उसे बताए । जीवन का लक्ष्य मिठाई खाने से ऊंचा है, यह बात समझाई । बच्चा समझ गया । उसने कहा---'महात्माजी ! आज चीनी नहीं खाऊंगा। मैं आपकी साक्षी से प्रतिज्ञा करता हूं।'
सारी बात पांच मिनट में समाप्त हो गई।
बहिन बोली-'महात्माजी ! पांच मिनट की बात थी फिर आपने मुझे एक सप्ताह तक क्यों रोके रखा ?'
... महात्मा ने कहा-बहन ! सच यह है ---मैं भी मिठाई का पूरा
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