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चांदनी भीतर की
पर त्राटक कर लिया और वह व्यक्ति उसकी रेंज में चला गया तो आगे सरक नहीं पाएगा, उसे वहीं का वहीं रहना पड़ेगा। जो जानकार लोग होते हैं, वे सांप की सीध में नहीं जाएंगे, टेढ़े-मेढ़े जाएंगे। वे उसकी दृष्टि के सामने नहीं आएंगे। कई सर्प ऐसे होते हैं कि उनकी दृष्टि के सामने जाने वाले के पैर वहीं थम जाते हैं और फिर सांप जो चाहे, सो कर सकता है। कठोर कर्म है गृहस्थी चलाना
माता-पिता ने कहा-बेटा ! तुम जानते हो, एक लक्ष्य रखना, एक दृष्टि रहना, कितना कठोर काम है।
मृगापुत्र बोला-मात-तात ! आपने जो कहा, वह बिल्कुल ठीक बात है। मैं जानता हूं-साधुपन कठोर चर्या है। क्या गृहस्थ जीवन कम कठोर है ? यह कष्ट की बात साधु जीवन के लिए कही जाती है पर अगर तुलनात्मक दृष्टि से देखें तो गृहस्थ जीवन भी कम कठोर नहीं है। कितनी कठोर चर्या है गृहस्थ की। प्रातः उठता है और शाम को सोता है तब तक कोल्हू के बैल की भाति पिसता चला जाता है। व्यक्ति को यह शिकायत रहती है--एक मिनट का समय मेरे पास नहीं है। उठता हूं, जल्दी-जल्दी नाश्ता कर दुकान जाता हूं। रात को आठ बजे आता हूं और आते ही रोटी खाता हूं, फिर सो जाता हूं। बीच में करने को कुछ बचता ही नहीं। ___आज के जमाने में गृहस्थी चलाना तो बहुत कठोर कर्म है। चारों ओर भय का वातावरण, इतनी महंगाई और जटिल आर्थिक समस्याएं ! ऐसी स्थिति में गृहस्थ साधु को धन्यवाद दे--आप बहुत कठोर चर्या कर रहे हैं या गृहस्थ साधु को धन्यवाद दे? यह शायद प्रश्न हो सकता है। गृहस्थ की समस्याएं भी कम नहीं है फिर भी एक मूळ ऐसी है, जिससे प्रभावित व्यक्ति यह मानता है--गृहस्थ जीवन सुविधापूर्ण है
और साधु जीवन कठोर। समाज चलता है पूर्वाग्रह के कारण। पूर्वाग्रह होता है तो समाज चलता है और पूर्वाग्रह छूट जाए तो शायद समाज भी न चले। चले तो अन्यथा चले। एक मान्यता, धारणा और आग्रह बन गया, उस लीक पर सारे चलते चले जा रहे हैं। जो भी कष्ट आता है, सहते चले जा रहे हैं। अगर पुरानी धारणाएं और पूर्वाग्रह टूट जाएं तो शायद समाज की स्थिति भी अन्यथा बन जाए। मल्ल का काम : गुरु का काम
___ मृगापुत्र बोला--माता पिता ! आपने मेरी दुर्बलताओं को समझा है और मैं भी मानता हूं कि मैं दुर्बल हूं। पर जितना आप मानते हैं मैं उतना दुर्बल नहीं रहा हूं। दुर्बलताएं हर व्यक्ति के मन में होती हैं। अब मेरी दुर्बलताएं दूर होती जा रही हैं। मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि मैं अपने लक्ष्य में बहुत सफल बनूंगा। मैं आपसे
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