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चांदनी भीतर की
कौन-सा साक्षात्कार कर लिया है तुमने ? मैंने सचाई का, अपने अस्तित्व का साक्षात्कार कर लिया है। क्या इतना सरल है सत्य का साक्षात्कार ?
आप कैसी बात कर रहे हैं? आप सिर्फ मुझे देख रहे हैं, राज्य को देख रहे हैं, किन्तु मैं सारे चक्र को देख रहा हूँ।
कौन सा चक्र ?
आपको पता है कि मैं पहले जन्म में क्या था ? उससे पहले क्या था ? और उससे पहले क्या था ? पूर्व जन्म की स्मृति का परिणाम
जब व्यक्ति अपने पूर्व जन्मों का साक्षात्कार करता है, उस समय सारी मनोदशा बदल जाती है। वह व्यक्ति सोच ही नहीं सकता, जिसने अपने पूर्व जन्म का साक्षात्कार नहीं किया है। जब उसके सामने सचाइयां आती हैं तब क्या होता है, कुछ कहा नहीं जा सकता। इन वर्षों में कुछ व्यक्तियों के पूर्व-जन्म के साक्षात्कार की बातें सुनी। व्यक्ति उन्हें सुनकर अवाक् रह जाए। किस प्रकार व्यक्ति अपने जीवन के चक्र में क्या क्या करता रहता है, कहां नहीं जा सकता, सोचा नहीं जा सकता ! ऐसी घटनाएं सामने आई हैं, जिन पर विश्वास भी न किया जा सके और अविश्वास करना भी ठीक नहीं हैं। वस्तुतः जब जीवन का चक्र चलता है और साक्षात्कार होता है, तब जो स्थितियां बनती हैं, व्यक्ति की दुनिया ही बदल जाती हैं।
___ माता-पिता दूसरी दुनिया की बात कर रहे हैं, वे एक दुनिया की बात कर रहे हैं और मृगापुत्र के सामने न जाने कितनी दुनिया के चित्र साक्षात् आ जा रहे हैं। नीरस है साधुपन
मृगापुत्र बोला--मात ! तात ! आपको बड़ा कष्ट हो रहा है मेरे कारण। आप मुझे समझाने का प्रयत्न कर रहे हैं पर मेरी अक्षमता यह है कि आप चाहे जितना श्रम करें, वह सफल नहीं होगा। अब मैं इस राज्य की भूमिका में नहीं हूं। मैं दूसरी भूमिका में चला गया हूं। मेरे लिए न तो भिक्षा मांगना कठिन है, न कुछ और करना कठिन है। अहंकार का सारा वलय टूट चुका है। यह कवच और सांप की केंचुली मेरे लिए कोई काम की नहीं रही है। इसका उपयोग चाहे जैसा कोई दूसरा करे। ___माता-पिता समझ नहीं पाए । एक दिन में ही यह क्या हो गया ? एक दिन में ही इतना बदलाव कैसे आ गया ? कल तक कोई बात ही नहीं थी, आज सब कुछ बदल गया, हुआ क्या ? माता पिता बोले--तुम भिक्षा भी मांग लोगे ! अहंकार तुमने
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