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पोम के दांत और लोहे के चने
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शक्ति क्या है ? अपनी शक्ति को तोलो। बिना शक्ति को तोले बड़ा काम करने जा रहे हो। हीनता की भावना और अनुभूति पैदा कर दो, वह वहीं थम जाएगा, आगे नहीं बढ़ेगा। ये दो ऐसे तरीके हैं, जिसमें कहीं निषेध नहीं करना पड़ता। यह अनिषेध होकर भी अपने आप निषेध का काम कर देता है। जिस कार्य के लिए सीधा निषेध किया जाता है, व्यक्ति उस कार्य को करने के लिए कटिबद्ध बन जाता है। निषेध का परिणाम __फ्रायड अपनी पत्नी के साथ घूम रहे थे। साथ में लड़का भी था। बगीचे में घूमते-घूमते काफी देर हो गई। थोड़ी देर बाद पत्नी ने मुड़कर देखा तो लड़का दिखाई नहीं दिया । पत्नी घबड़ा गई। उसने फ्राइड से कहा--तुम जल्दी करो। लड़का कहां गया है, खोजो।
फ्रायड ने कहा--घबरा क्यों रही हो ? कोई खास बात नहीं है।
'नहीं, देखो ! इतनी भीड़ है, कहीं गुम हो जाएगा । कहीं अन्यत्र चला गया तो पता ही नहीं चलेगा।
फ्रायड ने शान्त भाव से कहा-चिन्ता की कोई बात नहीं है। मैं बहुत चिन्तित हूं। क्या तुमने उसे कहीं जाने की मनाही की थी ? हां, मनाही तो की थी। कहां जाने के लिए?
वह तालाब के पास जाना चाहता था। मैंने उससे कहा-तुम तालाब के पास मत जाना।
फ्रायड ने कहा- लड़का वहीं मिलेगा। दोनों उसी मार्ग पर चल पड़े, तालाब के पास पहुंचे, लड़का वहीं खड़ा था।
पत्नी विस्मय भरे स्वर में बोली-क्या आपको कोई ज्ञान हो गया ? आपको कैसे पता चला कि लड़का वहीं मिलेगा ?
फ्रायड बोला-तुम जानती नहीं हो--यह मनोविज्ञान का नियम है । जिस काम के लिए बच्चे को मनाही करो, बच्चा वह काम जरूर करेगा। तुमने मनाही की थी तालाब के पास मत जाना और मैंने जान लिया, बच्चा जरूर वहीं गया है। मनोविज्ञान का नियम
फ्रायड ने मनोविज्ञान का एक सामान्य नियम बना दिया और वह नियम बच्चों के लिए ही नहीं, बड़ों के लिए भी लागू होता है-जिस कार्य का निषेध किया जाएगा,
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