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________________ जहां एक मी क्षण आराम नहीं मिलता ११५ करें तो उसमें ये दोनों धारणाएं प्रस्तुत होंगी। जिस धारणा में शरीर केवल साधन मात्र है, उसमें शरीर के प्रति आसक्ति सघन नहीं होती। केवल शरीर की सार-संभाल होती है पर आसक्ति नहीं होती। एक धारणा वह है, जिसमें शरीर से लाभ तो नहीं उठाया जाता किन्तु उसमें भरपूर आसक्ति होती है। एक है लाभ उठाने वाला, उसे नौका मानने वाला और दूसरा है उसे डुबोने वाला, जिसमें वह भी डूब जाता है। इतना डूब जाता है कि वह उसी में फंस जाता है, कुछ भी लाभ नहीं उठा सकता। उसके सामने कभी नदी का दूसरा तट आता ही नहीं है, वह नदी के बीच में ही रह जाता है। ____ यह एक महत्त्वपूर्ण तत्त्व है-बॉडी इमेज या बॉडी कन्सेप्ट । हमारा शरीर के प्रति क्या कन्सेप्ट है ? बॉडी इमेज क्या है ? मृगापुत्र की शरीर के प्रति धारणा बदल गई। धारणा बदलती है, व्यक्ति बदल जाता है, उसका आचार और व्यवहार बदल जाता है। सम्मान का अधिकारी कौन ? सुल्तान महमूद गजनबी शेख अब्दुल हसन फुरवान के पास आया। शेख फुरवान प्रसिद्ध संत था। प्राचीन परंपरा रही है--शासक या सम्राट् फकीरों सन्यासियों के पास जाया करते थे, उनका आर्शीवाद लेते थे। महमूद गजनवी शेख फुरवान के पास गया, उसे नमस्कार किया। जरूरत थी सुलतान को। सुलतान ने संत को प्रणाम करते हुए अशर्फियों की थैली भेंट की। संत फुरवान मुस्कुराया। उसने थैले से एक रोटी का टुकड़ा निकाला और सुलतान को दिया। सुलतान उस सूखे और कठोर रोटी के टुकड़े को देखकर अवाक् रह गया। वह बेचारा सम्राट् ! अमीरी में पला-पुसा इस सूखे रोटी के टुकड़े को कैसे खा सकता था ? पर करता भी क्या ? खाने के सिवाय कोई विकल्प नहीं था। सम्राट् रोटी के टुकड़े को मुंह के पास ले गया, उसे दांतों पर रखा। न वह रोटी को तोड़ ही पा रहा था और न खा पा रहा था। संत फुरवान ने कहा--सुलतान ! रहने दो। यह रोटी तुम्हारे काम की नहीं है और तुमने जो थैली यहां रखी है, वह मेरे काम की नहीं है। सुलतान को अपनी भूल का एहसास हुआ। मैंने संत को अशर्फियों की थैली भेंट कर भूल की है। कुछ क्षण बीते। सुलतान जाने लगा। फकीर अपने आसन से उठा। सुलतान यह देख विस्मित रह गया-मैं आया तब शेख अकड़ कर बैठा था और अब जा रहा हूं तो सम्मान कर रहा है। सुलतान से रहा नहीं गया, उसने पूछा--दीदारप्रवर ! यह Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003082
Book TitleChandani Bhitar ki
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1992
Total Pages204
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size9 MB
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